अर्धांगिनी  

0 0
Read Time1 Minute, 48 Second
indrapal
पास मेरे प्रेम धन है,शेष मैं निर्धन बहुत हूँ…
सोच लो अर्धांगिनी बनकर,तुम्हें क्या-क्या मिलेगा ?
रेशमी साड़ी न होगी,कंचनी गहने न होंगें,
और शायद दे न पाऊँ मोतियों वाली अँगूठी…
हो महल कोई विभासित हे प्रिये! निश्चित नहीं है,
अब बँधाना चाहता तुमको नहीं मैं आस झूठी..।
तुम मिले मुझको अगर तो मैं यही तुमसे कहूँगा,
एक रेगिस्तान ही भागीरथी से जा मिलेगा…
सोच लो अर्धांगिनी बनकर,तुम्हें क्या-क्या मिलेगा ?
तुम अगर ये चाहती हो प्रेम के मोती लुटाऊँ,
है सहज मेरे लिए केवल तुम्हें अपना बनाना..
प्राथमिकता यदि तुम्हारी सांसारिक वस्तुएँ हैं,
फिर नहीं कुछ पास मेरे रिक्त है सारा ख़जाना…।
ख़्वाहिशें पूरी न होकर अश्रु में बहने लगेंगी,
भेंट सुख से हो न हो ये दुःख बहुत ज्यादा मिलेगा…
सोच लो अर्धांगिनी बनकर,तुम्हें क्या-क्या मिलेगा ???                                                           #इन्द्रपाल सिंह

परिचय : इन्द्रपाल सिंह पिता मेम्बर सिंह दिगरौता(आगरा,उत्तर प्रदेश) में निवास करते हैं। 1992 में जन्मे श्री सिंह ने परास्नातक की शिक्षा पाई है। अब तक प्रकाशित पुस्तकों में ‘शब्दों के रंग’ और ‘सत्यम प्रभात( साझा काव्य संग्रह)’ प्रमुख हैं।म.प्र. में आप पुलिस विभाग में हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ज्यादा इस बार मिली

Thu Dec 14 , 2017
याद उसकी इस कदर तड़पाने लगी, बातें उसकी बस जहन में आने लगी। सीमाओं से बँधा मन तड़प उठता, जब भी अकेलापन महसूस होता। बंदिशों पर सख्त पहरे लगे थे, जब भी तोड़ी कमरे में कैद आवाज मिली। कभी कप टूटा,कभी प्यालियों की आवाज, कानों को बेहिसाब मिली। कभी टमाटर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।