पास मेरे प्रेम धन है,शेष मैं निर्धन बहुत हूँ… सोच लो अर्धांगिनी बनकर,तुम्हें क्या-क्या मिलेगा ? रेशमी साड़ी न होगी,कंचनी गहने न होंगें, और शायद दे न पाऊँ मोतियों वाली अँगूठी… हो महल कोई विभासित हे प्रिये! निश्चित नहीं है, अब बँधाना चाहता तुमको नहीं मैं आस झूठी..। तुम मिले […]