चन्दा मामा पास के

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भारतीय बाल साहित्य में वर्षों से ’चंदा मामा’ को इसी विशेषण के साथ हम सब ने प्रेम से मामा का स्थान दिया है। इसी रिश्ते को बलवती बनाते हुए सैंकड़ो कविताएँ रची गईं। कभी पूर्णिमा से अमावस की ओर जाते मामा को रूठते हुए मामा कहा गया तो कभी तिथि के अनुसार सिकुड़ते हुए चंदा मामा को बच्चों ने ठंड से ठिठुर कर सिकुड़ते हुए मामा मान लिया।
कोई बच्चा कहानियों में यह कहता नज़र आता था कि धरती माता अपने नन्हे भैया चंदा के लिए रुई भरकर रजाई तैयार कर रही है।
इन सारे प्यारे–प्यारे प्रतीकों के बीच भारत के इसरो द्वारा भेजे गए चंद्रयान ने जैसे ही चंद्रमा पर लैंडिंग की और इस दृश्य को टीवी पर इस देश के करोड़ों बच्चों ने एक साथ देखा तो यूँ लग रहा मानो बाल साहित्य के सारे प्रतीक और प्रतिमान ही बदल गए हैं। आधुनिक युग की गूगल पीढ़ी को संबोधित करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जब यह कहा कि अब –
चंदा मामा दूर के नहीं, चंदा मामा बस एक टूर के होकर रह गए हैं तो लगा सचमुच बाल साहित्यकर धन्य हो गए। आज देश का शीर्ष नेतृत्व भी बाल साहित्य उद्धृत कर रहे हैं।
मैं भी बाल साहित्य और बाल पत्रकारिता का विद्यार्थी होने के नाते यही कहना चाहूंगा कि-
“चंदा मामा दूर के,
पुए पकाए बुर के।”
नहीं अब भारत के बच्चे गाएँगे –
“चंदा मामा पास के,
पुए पकाएं आस के।”
और यह आस पूरी की हमारे चंद्रयान ने।
धरती माता की राखी लेकर गए यान को भारत के बच्चों की ओर से हृदय से आभार। अमिताभ बच्चन अंकल हमारी ओर से कहिए ना एक बार-“मामा आज ख़ुश तो बहुत होंगे तुम, हँय ssss।”

डॉ. विकास दवे

निदेशक, साहित्य अकादमी, म.प्र. शासन, भोपाल

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।