इन्दौर। श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के साप्ताहिक आयोजन सृजन विविधा का आयोजन शुक्रवार को सम्पन्न हुआ।
इक जमीं पर आसमानी इश्क खुशबुओं की राजधानी इश्क इस बार सृजनविविधा की शुरुआत करते हुए शीतल देवयानी ने यह खूबसूरत गजल पढ़ कर कार्यक्रम को खुशनुमा बना दिया। कीर्ति मेहता ने भी “प्रेम के धागे बुने जो तुम पिया चटका गए” कुहासा शीर्षक से गीत पढ कर कार्यक्रम को बड़ी खूबसूरती से आगे बढ़ाया। दिलीप नीमा ने व्यंग्य” रचना छपी ,बढ़िया,काय पै लिखी है”। दिनेश तिवारी “उपवन” ने “मेरी जिंदगी पराई धरोहर सी है…” दार्शनिक रचना पढ़ी ,शीला चंदन ने “तू इंसान है तो बस इंसान बनकर देख..” संजय तराणेकर ने “द्रौपदी तुझे तो कोई छू नहीं सकता”जैसी अलग तेवर की भावपूर्ण रचनाएँ पढ़ीं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ ने रचनाओं की समीक्षा की और निमाड़ी कविता सुनाई। डॉ. आरती दुबे ने निमाड़ी संजा गीत सुनाया। किशोर यादव, मदन लाल अग्रवाल, अरविंद जोशी, संजय मोठ ने भी रचनाएँ सुनाईं। कार्यक्रम में प्रकाश जैन, विजय खंडेलवाल, अमर सिंह आदि बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन समिति की साहित्य मंत्री डॉ. पद्मासिंह ने किया और अंत में आभार अर्थ मंत्री राजेश शर्मा ने व्यक्त किया।