#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
Read Time1 Minute, 8 Second
राम केवल नाम नही
राम जीवन का आधार है।
राम है संस्कृति हमारी
राम जड़ चेतना का व्यापक
विस्तार है।
उद्घोष जय श्री राम का
संचरण ऊर्जा का होता है
जिसे लगता युद्धघोष यह
वो विक्षुब्ध एक विकार है।
हिंसा को तुम धर्म से जोड़े
जिसका आधार आहिंसा परमो धर्म: है,
मानवता का त्रास हरा जिस राम
ने,मर्यादा जिनका गहना है।
जिस राम ने शबरी के जुठे बेर को
खाया था
हंसते हुए केंवट को अपना मित्र जिन्होंने बनाया था।
तुम स्वार्थवश राम के नाम से क्यों
भगते हो
जय श्री राम जय श्री राम कहने से
आज क्यो तुम डरते हो
राम भारत की संस्कृति है
राममय संसार है
राम जगत के पालनहार
राम ही करतार है।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
February 6, 2018
फागुन आयो
-
October 4, 2020
साथ तेरा हो
-
March 9, 2019
उम्र भर की वफा से हाथ क्या आया मेरे
-
September 18, 2017
अच्छी बात नहीं