#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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राम केवल नाम नही
राम जीवन का आधार है।
राम है संस्कृति हमारी
राम जड़ चेतना का व्यापक
विस्तार है।
उद्घोष जय श्री राम का
संचरण ऊर्जा का होता है
जिसे लगता युद्धघोष यह
वो विक्षुब्ध एक विकार है।
हिंसा को तुम धर्म से जोड़े
जिसका आधार आहिंसा परमो धर्म: है,
मानवता का त्रास हरा जिस राम
ने,मर्यादा जिनका गहना है।
जिस राम ने शबरी के जुठे बेर को
खाया था
हंसते हुए केंवट को अपना मित्र जिन्होंने बनाया था।
तुम स्वार्थवश राम के नाम से क्यों
भगते हो
जय श्री राम जय श्री राम कहने से
आज क्यो तुम डरते हो
राम भारत की संस्कृति है
राममय संसार है
राम जगत के पालनहार
राम ही करतार है।
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