हिन्दी पुस्तकों के प्रकाशन का विश्वसनीय नाम संस्मय प्रकाशन

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एक प्रकाशन रचनाकार के शब्दरंगों से सपनों का बुनकर होता है। एक रचनाकार, जो अपने सृजन को डायरी के पन्नों तक सीमित कर देता था, उसके सार्थक सृजन को गुणवत्ता की चाशनी में डूबा कर, रंग और आकार के साथ पाठक की उन्नत और वैचारिक मानसिक खुराक बनाने का कार्य करने वाले उपक्रम का नाम प्रकाशक है।
भाषा के सौंदर्य में अभिवृद्धि और लेखकों के मनोभावों के बीजों के अंकुरण हेतु प्रकाशन ही तो बनता है जनमानस की समिधा, इसीलिए वैचारिक क्रांति के संवाहक के रूप में प्रकाशक को अधिक ज़िम्मेदार माना जाता है। ज़िम्मेदार प्रकाशन ही पाठक और लेखक के बीच का वह सेतु है, जो शिक्षित समाज के निर्माण और जागरुक मानस प्रस्फुटन करता है।
इसी कड़ी में हिन्दी भाषा के उन्नयन और भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से माँ अहिल्या की नगरी और मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से ‘संस्मय प्रकाशन’ का उदय वर्ष 2019 में हुआ है।
भारत के शीर्ष हिन्दी प्रकाशकों की सूची में सम्मिलित संस्मय प्रकाशन वर्तमान में भारत भर के लेखकों का पसंदीदा प्रकाशन है।
संस्मय का कार्यालय राजधानी दिल्ली व देश के सबसे स्वच्छ शहर इन्दौर में स्थित है। इसकी संचालिका श्रीमती शिखा जैन व प्रबंधक भावना शर्मा हैं। यह मुख्यतः हिन्दी पुस्तकों को प्रकाशित करने वाला एक प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान है, जो मातृभाषा उन्नयन संस्थान का प्रकाशकीय अंग है। इस प्रकाशन संस्थान की स्थापना 21 फ़रवरी 2019, मातृभाषा दिवस के दिन हुई थी। संस्मय प्रकाशन के माध्यम से साझा संकलन, स्मारिकाएँ, समीक्षाएँ आदि भी प्रकाशित करवाकर प्रतिभाओं को सामने लाने का सतत् प्रयास जारी है।

संस्मय प्रकाशन से राजकुमार कुम्भज जी, अहद प्रकाश जी, डॉ. अमरनाथ अमर जी, डॉ. लालित्य ललित जी, डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ जी, डॉ. राजश्री सिंह जी, डॉ. प्रेरणा ठाकरे जी, राजीव जायसवाल जी, सुरभि सप्रू जी, गिरीश चावला जी सहित कई लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों की पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सर्वाधिक विक्रय के ख़िताब से संस्मय प्रकाशन की कई पुस्तकें पाठक दीर्घा में सम्मिलित हैं।
रियायत मूल्य पर पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध करवा कर उनकी साहित्यिक रुचि में वृद्धि कर हिन्दी भाषा के प्रचार में संस्मय प्रकाशन की भूमिका गणनीय है। संस्मय का सदैव यह प्रयास रहता है कि वह अपने लेखक और अपने पाठक के बीच सामंजस्यता बनाकर रखे और उनके विचार, सुझाव को उनके पढ़ने वाले की मनःस्थिति तक और जिज्ञासा को शांत करने के लिए सेतु बने, जिससे विचार में निहित संभावनाओं से परिचित करवाया जा सके। हज़ारों पाठकों की पसंद के रूप में संस्मय गुणवत्ता युक्त किताबें प्रकाशित करने के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। संस्मय के द्वारा पुस्तकों की गुणवत्तायुक्त छपाई, नवाचार और उच्च कोटि के काग़ज़ों का प्रयोग किया जाता है। यहाँ एक लेखक गुणवत्ता, विश्वसनीय, सकारात्मकता के साथ-साथ उच्च स्तरीय तकनीकी तंत्र, मुद्रण तंत्र और बेहतरीन वितरण और विपणन (मार्केटिंग) तंत्र की सुविधाओं को प्राप्त करेंगे, जिससे लेखकों की आय में अभिवृद्धि के साथ व्यक्तिगत दाहांकन यानी व्यक्तिगत ब्रांडिंग के उच्चस्तरीय पैमानों और प्रयासों का महाकुम्भ भी हासिल होगा।
संस्मय प्रकाशन की संबद्धता ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ से है, जिसका मूल उद्देश्य हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना और भारतीय भाषाओं को ‘पेट’ की भाषा बनाना है, इसलिए मूल तत्व की प्राप्ति के लिए यह प्रकाशन प्रतिबद्धता के साथ लेखक को पाठकों से जोड़ता भी है और लेखकों और पाठकों के साथ न्याय करते हुए गुणवत्ता के साथ सामग्री पहुँचाता भी है। संस्मय प्रकाशन जो भाषायी सौंदर्य का विस्तार कर स्थापित और नवांकुर रचनाकारों के सृजन रूपी स्वप्न को बुनकर पाठक परिवार को वैश्विक स्तरीय गुणवत्ता आधारित वैचारिक खुराक उपलब्ध करवाने हेतु वचनबद्ध है।

‘संस्मय प्रकाशन’ पाठक और लेखक दोनों को गुणवत्ता और उच्चस्तरीय सेवाओं और सामग्री को प्राप्त करने का विश्वास दिलाता है, क्योंकि संस्मय है विश्वास और सपनों का विजय तिलक…….

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।