इन्दौर। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक के रूप में पूरे प्रदेश की साहित्य मेधा का उत्कृष्ट पल्लवन और कार्यों के पहचाने जाने वाले डॉ. विकास दवे केंद्र सरकार की साहित्य अकादमी के भी जनरल काउंसिल के सदस्य मनोनीत हो गए हैं। डॉ दवे की कार्यशैली से अधिकारी, साहित्यकार व आम जनमानस भी प्रभावित है।
लोगों का दिल जीतने का हुनर रखने वाले आरएसएस के इस खांटी स्वयंसेवक पर अब संघ भी नाज़ कर रहा है। यही कारण है कि वामपंथियों की भीड़ से भरी केंद्र की साहित्य अकादमी में संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रयास पूर्वक उन्हें दिल्ली भेजा है। म प्र में उनका प्रयोग सफल रहा और ऐतिहासिक रूप से वाम विचार को उन्होंने घड़ी करके रख दिया है।
म प्र से विश्वविद्यालय कोटे से कुलपति श्री के एस दहेरिया और साहित्यकार संस्थाओं के कोटे से उर्मिला शिरीष भी काउंसिल सदस्य बनीं हैं।
साहित्य अकादमी में विधिवत निर्वाचन का पद है। इसमें देशभर के प्रतिनिधियों के मतदान में जिस तरह डॉ दवे को भरपूर वोटिंग हुआ है उससे केंद्र की अकादमी में संघ की पकड़ भी बढ़ी है और दवे का संघ संगठन, बीजेपी और साहित्य जगत में रुतबा बढ़ गया है। ज्ञातव्य है कि विगत दिनों इंदौर महापौर के लिए जब उनका नाम उछला और उन्होंने एक झटके में राजनीति में जाने से इनकार किया उसी समय यह अंदाजा लग रहा था कि संघ उनकी कोई बड़ी भूमिका तय कर रहा है। इन सबके बावजूद लम्बे समय बाद निर्विवादित, साफ़ सुलझी छवि वाले निदेशक का निर्वाचन हुआ है।
निर्वाचन पर डॉ विकास दवे ने कहा कि ‘यह प्रक्रिया सामान्य है। मैं वहां रहकर भी म. प्र. के प्रत्येक साहित्यकार का प्रतिनिधि बन उस सभा में अपना मत दृढ़ता से रखूंगा। म प्र सरकार को जब तक मेरी आवश्यकता है, मैं सेवाएं दूंगा अन्यथा अपने मूल सांगठनिक कार्य पर लौट जाऊंगा। राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना के मुद्दों पर न यहां समझौता किया है न वहां करूँगा।’
डॉ दवे के निर्वाचन पर प्रदेश सहित देशभर के हज़ारों साहित्यकारों ने बधाई प्रेषित कर अभिवादन किया।