डॉ विकास दवे केंद्र सरकार की साहित्य अकादमी की जनरल कॉउंसिल के सदस्य बने

2 0
Read Time3 Minute, 4 Second

इन्दौर। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक के रूप में पूरे प्रदेश की साहित्य मेधा का उत्कृष्ट पल्लवन और कार्यों के पहचाने जाने वाले डॉ. विकास दवे केंद्र सरकार की साहित्य अकादमी के भी जनरल काउंसिल के सदस्य मनोनीत हो गए हैं। डॉ दवे की कार्यशैली से अधिकारी, साहित्यकार व आम जनमानस भी प्रभावित है।

लोगों का दिल जीतने का हुनर रखने वाले आरएसएस के इस खांटी स्वयंसेवक पर अब संघ भी नाज़ कर रहा है। यही कारण है कि वामपंथियों की भीड़ से भरी केंद्र की साहित्य अकादमी में संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रयास पूर्वक उन्हें दिल्ली भेजा है। म प्र में उनका प्रयोग सफल रहा और ऐतिहासिक रूप से वाम विचार को उन्होंने घड़ी करके रख दिया है।

म प्र से विश्वविद्यालय कोटे से कुलपति श्री के एस दहेरिया और साहित्यकार संस्थाओं के कोटे से उर्मिला शिरीष भी काउंसिल सदस्य बनीं हैं।
साहित्य अकादमी में विधिवत निर्वाचन का पद है। इसमें देशभर के प्रतिनिधियों के मतदान में जिस तरह डॉ दवे को भरपूर वोटिंग हुआ है उससे केंद्र की अकादमी में संघ की पकड़ भी बढ़ी है और दवे का संघ संगठन, बीजेपी और साहित्य जगत में रुतबा बढ़ गया है। ज्ञातव्य है कि विगत दिनों इंदौर महापौर के लिए जब उनका नाम उछला और उन्होंने एक झटके में राजनीति में जाने से इनकार किया उसी समय यह अंदाजा लग रहा था कि संघ उनकी कोई बड़ी भूमिका तय कर रहा है। इन सबके बावजूद लम्बे समय बाद निर्विवादित, साफ़ सुलझी छवि वाले निदेशक का निर्वाचन हुआ है।

निर्वाचन पर डॉ विकास दवे ने कहा कि ‘यह प्रक्रिया सामान्य है। मैं वहां रहकर भी म. प्र. के प्रत्येक साहित्यकार का प्रतिनिधि बन उस सभा में अपना मत दृढ़ता से रखूंगा। म प्र सरकार को जब तक मेरी आवश्यकता है, मैं सेवाएं दूंगा अन्यथा अपने मूल सांगठनिक कार्य पर लौट जाऊंगा। राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना के मुद्दों पर न यहां समझौता किया है न वहां करूँगा।’

डॉ दवे के निर्वाचन पर प्रदेश सहित देशभर के हज़ारों साहित्यकारों ने बधाई प्रेषित कर अभिवादन किया।

matruadmin

Next Post

नया साल

Fri Dec 30 , 2022
नए साल का नया आगमन, नई खुशियां लेकर आया है, वक़्त न ठहरा किसी के लिए, ये इसने समझाया है। यहां आने वाले भी आएँगे और जाने वाले जाएँगे, होगी शाम भी सुहानी-सी और पंछी भी चहचहाएँगे। गम का मातम भी होगा ख़ुशियों में जश्न मनाएँगे, मेहनत को यहां जिसने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।