परिवार एवं समाज के उत्थान में वृद्धजनों की है महत्वपूर्ण भूमिका

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वृद्धावस्था जीवन चक्र का सबसे चुनौतीपूर्ण व संवेदनशील समयावधि है जिसमें व्यक्ति की क्षमताओं के क्षीण होने से उसे अनेक शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक, आर्थिक, सामाजिक व पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत में बुजुर्गों की प्रतिष्ठा प्राचीन काल में बहुत अधिक थी। वृद्धजनों को भगवान समान माना जाता था। समाज में बुजुर्गों को आदर्श मानकर उसका सम्मान होता था किंतु आधुनिक समय में भौतिकतावादी सोच ने वृद्धों को समाज के हाशिए पर धकेलने का काम किया है। प्राचीन काल में जहां वृद्धजनों को मार्गदर्शक के रुप में देखा जाता था तथा उनके विचार एवं अनुभव से युवा पीढ़ी लाभान्वित हुआ करती थी, वही आज युवा बुजुर्गों को उपेक्षा की दृष्टि से देखने लगा है।

2011 की गणना के अनुसार भारत में 10% आबादी बुजुर्गों की थी जो 2050 तक 21% (32.6 करोड़) होने की संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों में 21.8% व शहरी क्षेत्र में 25.3% बुजुर्ग अकेले रहने के लिए मजबूर है। दुनिया भर में चीन में बुजुर्गों का उत्पीड़न सबसे अधिक होता है। हेल्पएज इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 23%, बेंगलुरु में 70%, हैदराबाद में 60%, गुवाहाटी में 59%, कोलकाता में 52%, चेन्नई में 49% व मुंबई में 33% बुजुर्गों के प्रति दुर्व्यवहार होने का केस दर्ज होता है। देश में औसतन 44% बुजुर्ग दुर्व्यवहार के शिकार होते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर दो में से एक बुजुर्ग दुर्व्यवहार की घटना का शिकार होते हैं। अनेक अध्ययनों में 61% बुजुर्गों ने यह माना है कि परिवार में उनका उत्पीड़न बहू द्वारा किया जाता है। एजवेल रिसर्च एंड एडवोकेसी सेंटर ने एक रिपोर्ट में कहा है कि 52.4% बुजुर्ग उत्पीड़न के शिकार होते हैं। सिर्फ 62% बेटे, 26% बहुऐं और 23% बेटियां ही अपने बुजुर्ग मां-बाप के फाइनेंसियल आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं। 70% वृद्ध अपने बच्चों से इमोशनल सपोर्ट की इच्छा रखते हैं। 65% वृद्ध डिप्रेशन में इसलिए चले जाते हैं क्योंकि उनके बच्चे उन्हें पर्याप्त समय नहीं देते हैं। 29% बच्चे अपने मां बाप को अपने साथ रखने और उनके देखभाल करने को एक मुश्किल काम समझते हैं। 15% लोग अपने बूढ़े मां बाप को साथ नहीं रखना चाहते है। एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार वृद्धजनों के साथ 11.6% मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार, 6.8% वृत्तीय दुर्व्यवहार, 4.2% उपेक्षा, 2.6% शारीरिक शोषण व 0.9% यौन शोषण होता है। 80% बुजुर्ग इस उम्मीद से शिकायत नहीं करते की एक दिन सब ठीक हो जाएगा।

वृद्धजनों के प्रति होने वाले कुछ प्रमुख दुर्व्यवहार:-

  • सामाजिक दुर्व्यवहार
  • बुजुर्गों की बेइज्जती करना
  • अनदेखी करना
  • अलग रहने के लिए मजबूर करना * अनुचित व्यवहार करना
  • उनका अपमान करना
  • भावनात्मक ठेस पहुंचाना
  • गाली-गलौज करना
  • शारीरिक चोट पहुचाना
  • क्षमता से अधिक काम कराना
  • शारीरिक, आर्थिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं को पूर्ति होने में बाधा उत्पन्न करना
  • उनके स्वास्थ्य जरूरतों पर ध्यान न देना
  • उनकी आय एवं संपत्ति को जबरन हड़प लेना
  • तिरस्कार करना
  • बुजुर्गों के व्यवहार आवश्यकता एवं क्षमता को लेकर ताने देना
  • बुजुर्गों से बातचीत बंद कर देना वृद्ध जनों के प्रति दुर्व्यवहार बढ़ने के कारण:-
  • संयुक्त परिवार का टूटना
  • व्यक्तिवादी सोच का बढ़ना
  • नई व पुरानी पीढ़ी के बीच बढ़ता फासला
  • बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता में कमी
  • बुजुर्गों का अतार्किक व जिद्दी व्यवहार
  • भौतिकतावादी सोच का बढना
  • कानूनी मदद का भाव
  • शारीरिक शक्ति में कमी
  • आत्मविश्वास में कमी
  • आर्थिक निर्भरता
  • युवा पीढ़ी में संस्कारों की कमी
  • स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
  • सरकारी एवं गैर सरकारी सहायता तंत्र का अभाव या गैर जिम्मेदाराना रवैया
  • लोगों में स्वार्थ की भावना का अत्यधिक बढ़ना

निवारण के उपाय:-

  • वृद्धजनों की स्थिति व आवश्यकता को समझ कर उसके अनुरूप व्यवहार करना, यह समझना चाहिए कि एक दिन सभी की यही स्थिति होगी
  • अनिवार्य वृद्धा पेंशन
  • अनुभव एवं शिक्षा के अनुसार रोजगार की सुविधा
  • बुजुर्गों के समूह से जुड़े
  • सामाजिक क्रियाकलापों में सहभागिता हेतु प्रोत्साहित करें
  • नि:शुल्क या बहुत कम शुल्क पर स्वास्थ्य बीमा
  • वृद्धों के लिए समय-समय पर विशेष आयोजन
  • मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराना * पारिवारिक एवं सामाजिक आयोजनों में यथोचित सम्मान प्रदान करना
  • नियमित रूप से उनका हाल-चाल पूछना ताकि वे अपने को उपेक्षित महसूस न करें
  • उनकी आवश्यकताओं की जानकारी लेकर उसकी समय से पूर्ति करना चाहिए
  • नई पीढ़ी को संबेदित करने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करना
  • उनके आर्थिक खर्चों का ध्यान रखना
  • बिना उनकी अनुमति के उनके आय एवं संपत्ति का हस्तांतरण न करें
  • सांबेगिक सहयोग एवं समर्थन प्रदान करना
  • बुजुर्गों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करना
  • घर में बच्चे हो तो उन्हें बुजुर्गों के साथ जोड़ें, बुजुर्ग नैतिक एवं सामाजिक प्रसंग एवं कहानी किस्सों के माध्यम से बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित करने में सहायक होते हैं।
  • बच्चों को बुजुर्गों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें इससे उन्हें अकेलापन महसूस नहीं होगा।
  • बुजुर्गों को उनकी क्षमता के अनुसार अपने काम स्वयं करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए इससे न केवल उनका शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है बल्कि उनमें परावलम्बन व हीन भावना का विकास भी नहीं होता है।
  • योग और ध्यान के लिए प्रोत्साहित करें
  • बुजुर्गों की बातों को ध्यान से सुने तथा उसे तवज्जो दें

हर वर्ष 15 जून को इंटरनेशनल एल्डर एब्यूज अवेयरनेस डे मनाया जाता है ताकि लोगों का ध्यान वृद्धजनों के प्रति होने वाले दुर्व्यवहार के प्रति लोगों की ध्यान आकर्षित किया जा सके। द गोल्डेन एज हेल्पलाइन 18 00-180-0060 पर वृद्धजनों के प्रति होने वाले दुर्व्यवहार की सूचना सहायता हेतु दी जा सकती है। वृद्धावस्था में अनेक उम्र संबंधित मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याएं होती हैं जिसके लिए उन्हें उचित मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं चिकित्सक की सलाह एवं दवा की आवश्यकता होती है इसका प्रबंध समय से करने से बुजुर्गों को अनेक मानसिक, मनोवैज्ञानिक एवं व्यवहारिक समस्याओं से निजात दिलाया जा सकता है जिससे वे अपने जीवन को गुणवत्ता पूर्ण ढंग से व्यतीत करते हुए समाज एवं परिवार के लिए अपना यथोचित योगदान देने में सक्षम होंगे। भारत के विश्व गुरु बनने का सपना तभी पूर्ण हो सकता है जब हमारी युवा पीढ़ी बुजुर्गों से ज्ञान, अनुभव तथा व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त कर उसका राष्ट्रहित में उपयोग करेंगे।

# डॉ मनोज कुमार तिवारी 

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