जीवन एक कठिन गणित है। इसमें कहीं जोड़ तो कहीं घटाना पड़ता है। इसमें गुणा और भाग को समान अवसर मिलता है। भिन्न भिन्न के भी अंश होते हैं। हर हर के अंदर होता है। इन सब के अतिरिक्त कुछ अजीब बातें हैं इस ज़िंदगी रूपी गणित में- जोड़ तो सभी पसंद करते हैं मगर घटाना बहुत कम को रास आता है । गुणा सब कर लेते हैं लेकिन बराबर भाग देना नहीं आता है। जिंदगी में गणित के अगणित सूत्र होते हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि आज के इस दौर में लोग सूत्र तो सब जानते हैं लेकिन उसका प्रयोग नहीं करते हैं। परिणाम यह होता है कि ज़िंदगी में शून्य अपना कमाल दिखाता है और हम सब शून्यता में फंसकर ‘इति सिद्धम्’ नहीं कर पाते हैं और शून्यता को सहर्ष अपनाते हैं। फिर कहते हैं कि गणित बहुत कठिन होता है।
प्रीति चौरसिया ‘राधा’
देवरिया उत्तर प्रदेश।