प्रेरणा परिवार की काव्य गोष्ठी

0 0
Read Time3 Minute, 6 Second

हिसार |

नवोदित लेखकों को मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से पिछले इक्कीस साल से चलाए जा रहे मासिक काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अन्तर्गत नगर की प्रमुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रेरणा परिवार की मासिक काव्य गोष्ठी स्थानीय टाऊन पार्क में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ की अध्यक्षता में आयोजित की गई। मन्च संचालन जयभगवान यादव ने किया । गोष्ठी के आरंभ में देश के जाने-माने व्यंग्यकार प्रोफेसर मधुसूदन पाटिल को श्रद्धांजलि दी।
मास्टर जयभगवान यादव ने अपनी रचना ग्रामीण परिवेश पर सुनाई,
दिन वो भी क्या थे जब हम ऐसे गांव में रहते थे,
सुबह शाम करते एक खेत में काम दुपहरी पेड़ की छांव में रहते थे।
संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ ने अपने चिर परिचित अंदाज में रचना सुनाई
यूं तो मेरे शहर का मौसम रहता है हमेशा खुशनुमा।
बस पड़ोसी शहर की आबो-हवा ही खराब रहती है।
ऋषि कुमार सक्सेना ने पर अपनी रचना किसान आंदोलन पर सुनाई,
सड़क पर बैठा है मेरा अन्नदाता,
नया साल कैसे मनाऊं मेरे दाता।
देखो दिल्ली गया तो इटली चली गई।
कृष्ण कुमार इंदौरा की रचना कुछ ऐसी थी,
खौफ सताए श्रम बेकार चेहरा किसान मुस्कान जरूरी है,
अन्नदाता भंडार भरे वाजिब दाम जरूरी है,
जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था आधार खेत खलिहान जरूरी है।
विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त सत्यपाल शर्मा की रचना कुछ ऐसी थी,
जिस्म की हर सांस तक सेनानियों की देन है ,
सूलियों पर वे चढ़े हम जी रहे हैं। इसलिए।
रामायण के प्रकांड विद्वान एवं साहित्यकार पीपी शर्मा की पंक्तियां कुछ ऐसी थी,
गोष्ठी का उद्देश्य यही है हृदय प्रेम से आ जाना,
आओ बैठो काव्य पाठ करो प्रेमसागर लेकर जाना।
कवि राजेंद्र अग्रवाल की रचना कुछ ऐसी थी,
नव वर्ष केवल कैलेंडर बदलने का नहीं,
बल्कि शांति की सुखद दिन का है।
इस अवसर पर सुभाष चंद्र, मेघराज, रमेश दूहन ने भी अपनी रचना सुनाई। कार्यक्रम के अंत में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ ने काव्य गोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी कवियों एवं आगंतुकों का धन्यवाद किया।

matruadmin

Next Post

साहित्य संगम संस्थान द्वारा आयोजित छंदोत्सव में आचार्य वेद वागीश जी करेंगे लाइव संबोधित

Mon Jan 4 , 2021
देश – विदेश में ख्याति प्राप्त, वैदिक विद्वान, प्रखर वक्ता आचार्य वेद वागीश जी छ: जनवरी को साहित्य संगम संस्थान हिमाचल प्रदेश की इकाई के उद्घाटन समारोह में आयोजित महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना पूर्व विभागाध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू डिग्री कॉलेज एटा उ०प्र० के अभिनंदन समारोह के शुभ अवसर पर देश के […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।