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या रब मेरे तेरा उपकार हो
खुशियों भरा ये संसार हो
आ गया नया वर्ष उमंगे लिए
कोई बेबस न कोई लाचार हो
इंसान हो इंसानियत तो रखो
भाई चारा बढ़े और प्यार हो
आमदानी की अब राहें खुले
कोई युवा न अब बेरोजगार हो
लड़ाई सब झड़गे अच्छे नहीं
आपस मे सदभाव व्यवहार हो
हम मनाएं जश्न सारे खुशियों से
प्रीत के यहाँ सभी त्यौहार हो
जारी रहे जीत के ही सिलसिले
किस्मत में कभी ना हार हो
#किशोर छिपेश्वर’सागर”
बालाघाट
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