सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
बच्चों बूढ़ों को ये डराने आई,
जवानों को गले लगाने आई।
स्वेटर, जैकेट और मफ़लर लाई,
हम सबको टोपी पहनाने आई।।
सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
कम्बल निकले निकली रजाई,
ऊनी कपड़ों ने खूब धूम मचाई।
किट किट दाँत हमारे बजाने आई
हम सबको संगीत सिखाने आई।।
सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
कोहरे की चुनरी ओढ़ कर आई,
बनकर दुल्हन ये शरमाती आई।
देखो हम सबको ये रिझाने आई,
कितनी मनभावन ये सर्दी आई।।
सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
भीषण गर्मी को भगाने आई,
तन मन को शीतल करने आई।
चौबारे पर अलाव जलाने आई,
प्रेम, सौहार्द दिलों में बढ़ाने आई।।
सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
चाय पकौड़ी का मौसम लाई,
खिचड़ी का भोज कराने आई।
संग संग अपने पतझड़ है लाई,
बसन्त का स्वागत करने आई।।
सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
मूंगफली खिलाने है आई,
छुट्टी का ये मौसम है लाई।
घर में हमको दुबकाने आई,
ठंडे पानी से हमें डराने आई।।
सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
सबका लुक बदलने आई,
पंखों को खूब चिढ़ाने आई।
ब्लोअर ने अब ली अंगड़ाई,
छत पर पतंग उड़ाने आई।।
सर्दी आई सर्दी आई,
देखो देखो सर्दी आई।
स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद -औरैया