प्रेस-विज्ञप्ति – कलिंगा लिटररी फेस्टिवल – केएलएफ भाव संवाद में दिसंबर माह के आगामी सत्रों में होंगे प्रख्यात अर्थशास्त्री और लेखक मेघनाद देसाई, डॉ. बिबेक देबरॉय और चिंतक राम माधव।
केएलएफ भाव संवाद बनेगा रेबेलियस लॉर्ड, ‘महाभारत सीरीज, बिकाउज इंडिया कम्स फर्स्ट, ‘द अवस्थीस ऑफ अम्नागिरी, रेबेल्स विद आ कॉज’ जैसी पुस्तकों पर विमर्श का साक्षी।
भुबनेश्वर: कलिंगा लिटररी फेस्टिवल दिसंबर के आगामी विशिष्ट सत्रों में करेगा कुछ ख्यातिलब्ध लेखक, अर्थशास्त्री, निति-निर्माता, और विचारकों की मेजबानी। कलिंगा लिटररी फेस्टिवल के भाव संवाद में शामिल होंगे, विचारक राम माधव, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई, डॉ. बिबेक देबरॉय, तमाल बंदोपाध्याय, प्रो. टीटी राम मोहन, आईएएस सुभा शर्मा और अन्य।
10 दिसंबर को शाम 7 बजे, प्रख्यात विचारक और लेखक राम माधव (सदस्य, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, इंडिया फाउंडेशन) से उनकी सद्यः प्रकाशित पुस्तक “बिकाउज इंडिया कम्स फर्स्ट” पर वार्तालाप करेंगी ‘द हिंदू’ की राजनीतिक संपादक निस्तुला हेब्बार। 13 दिसंबर, शाम 7 बजे, महान अर्थशास्त्री और लेखक लॉर्ड मेघनाद देसाई से उनकी नयी किताब ‘रेबेलियस लॉर्ड – एन ऑटोबायोग्रफी’ पर बातचीत करेंगे इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के सहनिदेशक डॉ. अजय सिंह।
17 दिसंबर को रात 8 बजे, मशहूर आर्थिक पत्रकार और लेखक तमाल बंद्योपाध्याय से उनकी किताब ‘पंडेमोनियम: द ग्रेट इंडियन बैंकिंग ट्रेजडी’ पर बात करेंगे स्तंभकार अतुल के ठाकुर। 23 दिसंबर को शाम 5 बजे, अर्थशास्त्री और लेखक डॉ. बिबेक देबरॉय से उनकी नयी किताब पर बातचीत करेंगी साई स्वरूपा अय्यर। 12 और 13 दिसंबर को केएलएफ के मंच पर होंगे प्रो. टीटी राम मोहन, आईएएस सुभा शर्मा, त्रिशा डे नियोगी।
राजनीति में लंबी सहभागिता रखने वाले राम माधव के निबंध सम-सामयिक भारतीय चिंतन के केंद्रबिंदु होते हैं। लोकतंत्र: राष्ट्रप्रमुख की जिम्मेवारी, कानून का राज्य, शांति और लोक-व्यवस्था, महात्मा गांधी और गांधीवाद, अंबेदकर के आदर्श, महिला सशक्तिकरण, भारतीय न्यायपालिका, रामजन्मभूमि प्रकरण, धारा 370 उन्मूलन, अटल बिहारी वाजपेयी और अरुण जेटली की विरासत, और प्रधान मंत्री मोदी के प्रशासन की सीख’ जैसे विषयों पर उनका कार्य सराहनीय है।
‘बिकाउज इंडिया कम्स फर्स्ट’ भाजपानीत सरकार द्वारा विगत कुछ वर्षों में लिये गए निर्णय, पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक संबंध, चीन के साथ गतिरोध आदि विषयों पर गहरी जानकारी देता है। भारतीय नीति-निर्माण की समीक्षा करते हुए राम माधव भविष्य में ‘देश (भारत) को सबसे आगे’ रखने का अनुमोदन करते हैं। उनके अनुसार लिबरल फासिज़्म आतंकवाद के संबंध में भारतीय दृष्टिकोण को कमजोर करता है। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध बौद्धिक रूप से इमानदार नहीं है, यह इस बात की चेष्टा करता है कि ‘ब्लैक लाइफ मैटर्स’ भारतीय संदर्भ में कैसे कार्यांवित किया जा सकता है। इसके साथ ही वे इस बात की व्याख्या करते हैं कि क्यों आंदोलन मार्टिन लूथर किंग जूनियर के अहिंसक मार्गों पर होना चाहिए न कि अराजकतामूलक। इस संग्रह के निबंधों में एक अमूर्त शक्ति (सॉफ्ट पावर) के रूप में भारत के विकास का विस्तृत कैनवास प्रस्तुत करते हुए इस बात की भविष्यवाणी करते हैं कि आगामी कुछ दशकों में यह क्या आकार लेगा। यह उन लोगों के लिए अवश्य पठनीय है जो ‘न्यू आयडिया’ ऑफ इंडिया में विश्वास रखते हैं और साथ ही यह मानते हैं कि हर बहस के दो पहलू होते हैं। 10 दिसंबर, शाम 7 बजे उनके साथ बातचीत करेंगी पत्रकार निस्तुला हेब्बार।
‘द रेबेलियस लॉर्ड’ लॉर्ड मेघनाद देसाई की आत्मकथा है जो वडोदरा, गुजरात में उनके बाल्य-काल से आरंभ होता है। देसाई उस भारत में पले-बढे हैं जो दैदीप्यमान था, जिसमें हर प्रकार की अपरिमित संभावनाएं थीं। लेकिन नये शैक्षिक चुनौतियों की तलाश में वे पहले अमेरिका और फिर इंगलैंड चले जाते हैं। निश्चित रूप से उनकी नियति कहीं और है। पश्चिमी दुनिया में, 1968-69 के दौरान छात्र-आंदोलनों में उनकी भागीदारी के साथ ही उनकी राजनीतिक ऊर्जा और विचारधारा प्रकाश में आने लगी। शायद अर्थशास्त्र की दिशा में उनका यह गैरपरंपरागत अप्रोच भी था। मार्क्सवादी अर्थशास्त्र, राजनीतिक अर्थशास्त्र, वित्तीय-नीति और आर्थिक इतिहास के विद्वान लॉर्ड देसाई, लंदन स्कूल ऑफ इक्नॉमिक्स में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ग्लोबल गवर्नेंस और डवलपमेंट स्टडी प्रोग्राम के संस्थापक हैं। वे मानव विकास सूचकांक के निर्माताओं में से एक हैं। 13 दिसंबर को शाम 7 बजे केएलएफ के भाव संवाद में उनकी आत्मकथा पर उनसे बात करेंगे डॉ अजय सिंह।
लेखक तमाल बंद्योपाध्याय की किताब ‘पैंडेमोनियम: द ग्रेट इंडियन बैंकिंग चैलेंज’ भारतीय बैंकिंग व्यवस्था के विगलन की व्याख्या करता है। किस प्रकार अनेक प्रोमोटर अपनी प्रतिभूतियों को ऋण में बदल लेते हैं और बैंक प्रबंधन को अपना बैलेंस-शीट मेंटेन करने के लिए दूसरा रास्ता अख्तियार करते हैं, जब तक कि आरबीआई बेतहासा बढ रहे बुरे ऋण के खिलाफ जंग नहीं शुरु कर देता। तमाल बंद्योपाध्याय से उनकी किताब पर बात करेंगे स्तंभकार अतुल के ठाकुर, 17 दिसंबर को रात 8 बजे।
लेडी श्री राम कॉलेज और जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से शिक्षाप्राप्त, लेखिका सुभा शर्मा भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी हैं। पहली रचना ‘फ्लाय ऑन द वाल एंड अदर स्टोरीज’ की सफलता के बाद ‘द अवस्थीज ऑफ आमनगरी’ में हिंदी पट्टी के मध्यमवर्गीय परिवार का उत्कृष्ट चित्रण है। यह सत्र 12 दिसंबर, शाम 5 बजे आहूत है।
बिबेक देबरॉय की ‘महाभारत सीरीज’ उन तमाम लोगों को आकर्षित करेगा जो भारत को जानते-समझते और संबंध रखते हैं या जिनकी आध्यात्मिक रुचि है। महाभारत व्यापक मानवीय भावनाओं का महाकाव्य है जिसमें। प. बंगाल से आने वाले चर्चित आध्यत्मविद एवं लेखक बिबेक देबरॉय एक लोकप्रिय अर्थशास्त्री हैं जिनका लेखन बौद्धिक जगत में बहुसम्मानित है। विशद लेखन और सामाजिक अवदानों के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। वे नीति आयोग के सदस्य हैं। केएलएफ भाव संवाद में उनका सत्र आयोजित होगा 23 दिसंबर को शाम 5 बजे।
प्रो. टीटी राम मोहन की किताब ‘रेबेल विद अ कॉज’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करने वाले लोकतांत्रिक समाज का वर्णन करता है। मतभिन्नता का अधिकार और विरोधी विचारों के प्रति सहिष्णुता ही एक प्रजातांत्रिक व्यवस्था को तानाशाही से अलग करता है। अपनी नयी किताब में प्रो. टीटी राम मोहन ने सुविख्यात भिन्न मतावलंबियों अरुंधति रॉय, ओलिवर स्टोन, कांचा इलैया, डेविड इरविन, यानिस वैरोफकिस, यू जी कृष्णमुर्ति, और जॉन पिल्गर का चरित्रण करते हुए यह स्थापित करने की कोशिश की है कि किस प्रकार व्यवहार में ‘भिन्न-मत’ की परिसीमित किया जाता है।
आईआईटी बॉम्बे और आईआईएम कलकत्ता के स्नातक एवं स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस, न्यूयॉर्क विश्वविद्याल से डॉक्टरेट की उपाधि-प्राप्त, डॉ. टीटी राम मोहन आईआईएम अहमदाबाद में फिनानंस और इक्नॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। विभिन्न काल-क्रम में मैनेजमेंट कंस्लटेंट, बैंकर, इंवेस्टमेंट बैंकर और आर्थिक पत्रकार की भूमिका निभा चुके प्रो. राम मोहन का लेखन द इक्नॉमिक टायम्स, बिजनेस स्टैंडर्ड, द हिंदू, द वायर, ब्लूमबर्ग और क़्वार्ज़ जैसे प्रकाशनों में स्थान पाता रहा है। केएलएफ भाव संवाद में, 13 दिसंबर, शाम 5 बजे, प्रो. टीटी राम मोहन से वार्ता करेंगे अतुल के ठाकुर।
इस संबंध में बात करते हुए, केएलएफ के संस्थापक और निदेशक, श्री रश्मि रंजन परिदा ने कहा, “केएलएफ भाव संवाद को महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान साहित्यिक भावना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए शुरू किया गया था। लेकिन मंच की तीव्र वृद्धि और विश्व भर के साहित्यकारों, कलाकारों, विचारकों और दर्शकों से अपार प्रेम प्राप्त करते हुए 100 से अधिक सत्रों की यात्रा तय कर चुका है और यह इस दिशा में एक स्थाई मंच बना रहेगा।
ध्यातव्य है कि कलिंगा लिटररी फेस्टिवल ने केएलएफ भाव संवाद में 3 दिसंबर को प्रख्यात लेखक अमिताव घोष की मेजबानी के साथ ही सत्रों का शतक पूरा कर चुका है। कलिंगा लिटररी फेस्टिवल ने लॉक-डाउन की अवधि में लेखक, कलाकर, दार्शनिक, विचारक, शोधार्थियों, आध्यात्मिक गुरुओं एवं सामान्य नागरिकों के भावों की अभिव्यक्ति के लिए केएलएफ भाव संवाद शृंखला की शुरुआत किया था जो अब तक करीब बीस लाख दर्शकों तक पहुंच चुका है।
कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल के विषय में”
ओडिशा डायरी फाउंडेशन (ओडीएफ), रिदम फेस्टिवल प्राइवेट लिमिटेड,प्रत्येक वर्ष, कोरापुट में वार्षिक कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल, मिस्टिक कलिंग फेस्टिवल , कंधमाल साहित्य महोत्सव, केएलएफ का आयोजन करता आ रहा है। वार्षिक कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल, मिस्टिक कलिंग महोत्सव (एमकेएफ) भारत की रचनात्मक भावनाओ का उत्सव मनाता है और साहित्यिक विविधता को याद दिलाता है। KLF, ओडिशा, और भारत और भारत के बाहर की साहित्यक दुनियाँ के अग्रणी बुद्धिजीविओं के साथ संवाद स्थापित कराता है। इसके आयोजन में शिक्षाविदों, लेखकों, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं, कानून निर्माताओं, सरकारी अधिकारियों, कॉर्पोरेट नेताओं, छात्रों और जीवन के सभी क्षेत्रों से लोगों की सहभागिता फेस्टिवल के जीवंत बनता है। साथ ही, इस मंच पर पाठक/दर्शक गण अपने पसंदीदा लेखकों और उनके कार्यों पर विचार साझा करते हैं।
मिस्टिक कलिंग फेस्टिवल भारत के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक विशिष्ट उत्सव के रूप में उभरा है। अब हमारा ध्यान साहित्य के साथ मिस्टिसिस्म को पुनर्जीवित करन है , और विशेष रूप से युवाओं के बीच देश की निज परम्परा को लोकप्रिय बनाना है। यह एक वैश्विक अपील के साथ एक राष्ट्रीय मंच भी प्रदान करता है साथ ही अंग्रेजी और देश की क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य की रिक्तता को भरने का प्रयास करता है।
सादर,
केशव