हिसार |
नवोदित लेखकों को मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से पिछले इक्कीस साल से चलाए जा रहे मासिक काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अन्तर्गत नगर की प्रमुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रेरणा परिवार की मासिक काव्य गोष्ठी स्थानीय टाऊन पार्क में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ की अध्यक्षता में आयोजित की गई। मन्च संचालन जयभगवान लाडवाल ने किया । गोष्ठी भीमराव अंबेडकर को समर्पित की गई।
जयभगवान लाडवाल ने अपनी रचना ऐसे सुनाई,
विद्या शेरनी का दूध है।
जो पिएगा जरूर गुर्राएगा।
मास्टर जयभगवान यादव ने अपनी रचना बाबासाहेब पर सुनाई,
14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश की मऊ सामान्य में जीवन ज्योति पाई,
पिताजी मिले और रामजी सकपाल माता श्री थी आपकी भीमाबाई।
संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ ने अपने चिर परिचित अंदाज में रचना सुनाई,
सन 57 मेथी चूड़ी वाले हाथों में तलवार उठाई,
था अंग्रेजों को जिसने पहली बार ललकारा,
रानी थी तुम रानी थी तुम लक्ष्मी बाई था नाम तुम्हारा।
यूं तो मेरे शहर का मौसम रहता है हमेशा खुशनुमा।
बस पड़ोसी शहर की आबो-हवा ही खराब रहती है।
ऋषि कुमार सक्सेना ने मोहब्बत पर अपनी रचना सुनाई,
पल-पल देखने की चाह, बार-बार दर पर ले आई,पता नहीं क्या यही प्यार है या और कुछ।
कलाकार एवं कवि रमेश कुमार ने अपनी रचना कुछ ऐसे सुनाई,
जिस से दिल मिला वह दिल्ली चली गई
देखो दिल्ली गया तो इटली चली गई।
कृष्ण कुमार इंदौरा की रचना भीमराव अंबेडकर को समर्पित थी,
भीमाबाई सकपाल सूबेदार घर बालक एक होनहार हुआ,
संविधान निर्माता विधि विख्याता भीम बालक का अवतार हुआ।
सेवानिवृत्त सैनिक रमेश दूहन ने अपनी रचना खुशियों सुनाई,
माता-पिता से बढ़कर जग में नहीं है रचनाकार,
रखकर हम से करते हैं सदा वह प्रभु सा व्यवहार।
इस अवसर पर सुभाष चंद्र, मेघराज, राजेंद्र अग्रवाल
सहित अन्य श्रोता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ ने काव्य गोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी कवियों एवं आगंतुकों का धन्यवाद किया।