चहात रखते है
सभी धन की।
पर धन का उपयोग
वो करते नहीं।
धन आने पर उसे बंद,
तिजोरी में करते है।
जब कि लक्ष्मी तो
चंचल होती है।
तो कैसे उसे कैद
कर सकते है।।
धन और विद्या में
अंतर बहुत होता है।
और दोनों का मिलन
बहुत कम होता है।
जहां वास करती है लक्ष्मी,
वहां सरास्वती का आभाव होता है।
बड़ा अजीब खेल,
उस विद्यता ने रचा है।
जहां दोनों एक साथ
कम ही रहता है।।
विद्या से जो करते है,
धन का उपयोग।
वही पुण्यात्मा और
दानवीर कहलाते है।
और अपने समाज,
मे उच्च स्थान पाते है।
जरूरत मंदो को,
उच्च शिक्षा दिलाते है।
और एक सभ्य समाज का
निर्माण करवाते है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)