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आर्यधरा की रज छूकर
प्रफुल्लित हुआ मन मेरा
श्रद्धानन्द की कर्मस्थली पर
नतमस्तक हुआ है मेरा
गुरुकुल कांगड़ी ज्ञान मंदिर
आर्य पताका फैहराता है
गांधी को महात्मा मान दिया
देशभक्ति को अधिमान दिया
गंगा के पावन तट से ही तो
दयानंद ने पाखंड खंड किया
रूपकिशोर इस मंदिर को
फिर से चमकाने आए है
वेद ज्ञान की अलख जगाने
हरि की नगरी आए है।
#श्रीगोपाल नारसन
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