ग्लोबल वार्मिंग ने कर दिया नाश
मेरा रुप और काया का हो गया सत्यानाश।
धूल प्रदूषण और कोहरे से मन घबराया,
ग्लोबल वार्मिंग ने प्रदूषण में नाम कमाया।
तिनका तिनका मेरी रूह का कांप उठा,
जहर जब उगले वैश्विक ताप और बढ़े कुंठा।
पेड़ पौधे हैं मुरझाए, सृष्टि रोए अपने हाल,
सब कुछ बदल गया ग्लोबल वार्मिंग ने कर दिया बेहाल।
सांस लेना दुश्वार हो गया,
जीने से ज्यादा सस्ता मरना हो गया।
समुद्री जीव जंतुओं का हो गया भक्षण,
कैसे करेंगे हम फिर से पर्यावरण संरक्षण।
ग्लोबल वार्मिंग ने बढ़ा दी चिंता,
उठते जागती बस दिखती चिता।
मेरी पीर ना समझे कोई,
व्यथा मेरी अब बन गई सज़ा कोई
ग्लोबल वार्मिंग से धरती का बिगड़ा संतुलन,
समझ ना आए अब कैसे करेंगे हम अनुकुलन।
ग्लोबल वार्मिंग से मछली तड़प रही,
देख हालत धरती मां की ममता रो रहीं।
रेखा पारंगी
बिसलपुर पाली (राजस्थान।)