सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी वाली कहावत चरितार्थ होने जा रही है। क्योंकि सम्पूर्ण लाॅकडाउन से नागरिक ऊब चुके हैं। जिसके फलस्वरूप लापरवाह होना स्वाभाविक है।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पिछले दिनों निरंतर घरों में कैदियों की भांति बंद रहने के कारण बहुत से महिला-पुरुष मानसिक रूप से बीमार हो चुके हैं। क्योंकि अकस्मात उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों से तनाव बढ़ जाता है। जिस पर सामन्य मानव नियंत्रण नहीं रख पाता और तनाव के गहरे पानी में डूब जाता है। जिससे निजात पाने के लिए लापरवाही लाभकारी है।
चूंकि मस्तिष्क को आराम तभी मिलेगा। जब उस पर दवाब कम पड़ेगा। स्पष्ट कहें तो जब मस्तिष्क लापरवाह होगा। वह डर से डरना छोड़ देगा।
अतः आगे-आगे यही होने वाला है। चूंकि लाॅकडाउन की राहत बढ़ गई है। जिससे लापरवाही भी स्वाभाविक बढ़ेगी। जिससे हमें दुर्घटनाओं की चुनौतियों का सामना करना ही पड़ेगा।
इंदु भूषण बाली