आगर चालीसा

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लाखुंदर पूरब बहे, दक्खन कालीसिंध।
आऊ पश्चिम में बहे, बीच बाण जय हिंद।।
चार द्वार का कोट है, शोभा बरणि न जाय।
मंगलमय सब जीव हैं, बैजानाथ सहाय।।

मालव अंचल है सुखदाई।
आवे बाढ़ न पड़े सुखाई ।।1
पीहर पार्वती कहलाता।
भूमि उपजे मन हरषाता।।2
ज्वालामुखी अग्नि से लावा।
रक्ता माटी काली पावा।।3
मध्यदेश की थी रजधानी।
नवमसदी इतिहास बखानी।।4
सुआ नगर सुसनेर कहाता।
खेड़ा नल में बगला माता।।5
कानड़ बड़उद बीजा नगरी।
सोयत बस्ते बाला जबरी।।6
जय जय भूमी आगर माता।
तुम्हरा जस मैं निशिदिन गाता।।7
वेदों में आकर समझाया।
तद्भव से आगर कहलाया।।8
नाम अगरिया मामा भीला।
लाल लंगोटी कुर्ता पीला।।9
सादा जीवन उच्च विचारा।
कंद मूल का करे अहारा ।।10
चूना कांकर पीली माटी ।
लाल मुरम सीमेंट जुडाती।।11
नगरकोट करता रखवाली।
चार द्वार दो खिड़की आली।।12
सन अट्ठारह चुम्मालीसा।
फौज फिरंगी कीन प्रवेशा।। 13
रत्ना सागर उत्तर द्वारे ।
पीछे लश्कर डेरा डारे।।14
नगरमध्य था सरकरवाड़ा।
जहां से राज चला अगारा।।15
सन उन्नी सौ पांचा आई।
मंडल से तहसील बनाई।।16
एक सौ पांच गांव मिलाई।
आमद सहस सत्तावन पाई।।17
औसत वर्षा बत्तिस इंचा।
मूंग मका अरु ज्वार खरीफा।।18
मूंगफली सूरज दल खासा।
तूवर तिल्ली रई कपासा।।19
छोड़ सभी सोया उपजावे।
रबी चना गेहूं लहरावे़ ।। 20
संतर अमरुद बाग लगाये।
कछाल लखमी बांध बनाये।।21
टिलर मोती अटल सरोवर।
सागर जैसे बने धरोहर।।22
आगर उत्तर भेंटा ग्रामा।
बैजनाथ मंदिर शिव धामा।23
गिरजाघर भी बना सुहावन।
गौतम जैसा लगता पावन।।24
गोपल मंदिर बीच बजारा।
दर्शन करते भगत हजारा।।25
भेरु केवड़ सबके स्वामी।
बरडा बसती तुला भवानी।।26
अचलेश्वर है मोती तीरा।
चिंता हरण हरे सब पीरा।।27
मस्जिद ऊपर बनी मिनारा ।
होय अजान सुने जग सारा।।28
शंकर कुंडी माता काली।
जैना आलय छवि निराली।।29
गांधी उपवन नगर सुहाता।
फूलों की खुशबू बरसाता।।30
कॉलेज अरु कोठी दरबारा।
शारद मंदिर पढ़त हजारा ।।31
अमृत नीरा मोती प्यारा।
पानी पीवे जीव अपारा।।32
बंजारे ने भोग चढाई ।
बेटा लछमण राजनबाई।। 33
सन बत्तीसा रेल चलाई।
बैजनाथ महकाल मिलाई।।,34
सन पिचहत्तर लगा अपाता।
गई रेल रोई सब माता।।35
साहित रचते दत्त गणेशा।
आगर का इतिहास विशेषा।।36
पंडित सिद्धनाथ आगरकर।
संपादन से भये दिवाकर ।।37
कल्लू खूबा गवली भाई।
सुभाष साथ में लड़ी लड़ाई‌।। 38
सोलह आठा तेरह आया।
आगरको फिर जिला बनाया।।39
आगर नगर में बंटी मिठाई।
मालव की जनता हरषाई।।40

सोंधवडी अरु मालवी,बोली बोलें लोग।
दाल बाटी अरु चूरमा, लागे भेरू भोग।।

डाॅ दशरथ मसानिया

आगर मालवा

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।