
सारे देश में छाईं खुशियां,
जन जन हुआ है भाव विभोर।
घर-घर में बनी सेवइयां,
होने लगा गीतों का शोर ।
कर लो याद जरा उनकी भी,
जो करते हैं रक्षा सरहद की।
हर पल जान हथेली पर रखकर,
करते हैं रक्षा मां बहनों की।
त्यौहारों पर जब हम सब,
मिल कर खुशियां मनाते हैं,
सरहद पर वीर जवान भाई,
अपना फ़र्ज़ निभाते हैं।
मां आस लगाए बैठी है,
आएगा कब लाल मेरा।
अपनी सूरत प्यारी सी,
दिखाएगा कब लाल मेरा।
घर के बाहर गलियारे में,
बाबू जी बैठे सोच रहे।
गर्व से सीना ऊंचा करके,
बेटे की सलामती मांग रहे।
बहना छोटी छुप छुप रोए,
भैया तुम कब आओगे।
रक्षाबंधन पर आकर तुम,
राखी कब बंधवाओगे।
माफ कर दो भैया मेरे ,
अब तुमको ना सताऊंगी।
तेरी डांट पर भैया मेरे,
कभी ना रूठ कर जाऊंगी।
तुम बिन लगता घर सूना ,
सूने लगते सारे त्यौहार ।
आ जाओ यदि भैया मेरे,
आ जाएगी घर में बाहर।
करो माफ मुझको भैया,
मैं ये क्या बोल गई।
केवल अपने बारे में सोचा,
राष्ट्रधर्म मैं भूल गई।
नाज़ मुझे है तुम पर भैया,
तेरी बलिहारी जाऊं मैं।
तुम देश के प्रहरी हो भैया,
इस बात की खुशी मनाऊं मैं।
राखी की कसम है भाई,
दुश्मन को मार भगा देना ।
चीर के दुश्मन का सीना,
भारत मां की लाज बचा लेना ।
करती है दुआएं हरपल ,
देश की सारी मां बहनें।
रहें सलामत सारे भाई,
सीमा पर डटे हैं जो वर्दी पहनें।
हमें नाज है वीर जवानों,
तुमने भाई का फ़र्ज़ निभाया है।
लगा के बाजी अपनी जान की,
तुमने राखी का फ़र्ज़ निभाया है।
सपना (सहायक अध्यापक)
जनपद औरैया
उत्तर प्रदेश