चुनौतियों की पवित्रता का रसपान धरा पर विरले ही करते हैं। क्योंकि कायरों को चुनौती शब्द ही दिन को तारे दिखा देता है। जबकि महारथियों, ज्ञानियों, विद्वानों, मुनियों, आलोचकों, लेखकों, साहित्यकारों, शूरवीरों, महावीरों और कर्मवीरों के लिए चुनौती अमृत समान है। जिसे पीने के लिए वह हमेशा लालायित रहते हैं। चूंकि वह जानते हैं कि कुम्हार द्वारा मिट्टी को रौंद कर बनाए कच्चे घड़े का मूल्य आग में पकने के उपरांत ही पड़ता है और पकते ही सोने पर सुहागा हो जाता है। इसलिए चुनौती चाहे लाॅकडाउन की हो या पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की हो, उससे व्यक्ति का व्यक्तित्व हमेशा निखरता ही है। चूंकि चुनौतियां असल में कर्मवीरों के आभूषण होते हैं। जिन्हें स्वीकार करके वे अपनी गुणवत्ता को दर्शाते हैं। इसलिए चुनौतियां ही सफल जीवन का आधार होती हैं।
लाॅकडाउन की भांति जीवन में कई चुनौतियां आती हैं। जिनका कर्मवीर सहजता से सामना करते हैं और कायर दुम दबाकर भाग निकलने का प्रयास करते हैं। जिसके फलस्वरूप कर्मवीर यश प्राप्त करते हैं और कायर अपमान पाते हैं।
उल्लेखनीय है कि यदि किसी व्यक्ति को जीवन में निखरने की अभिलाषा हो तो उसे चुनौतियों को दावत देनी चाहिए। वह चुनौती चाहे सामाजिक हो या आर्थिक, स्वच्छता की हो या स्वास्थ्य की, राजनीति की हो या घरेलू, पत्रकारिता की हो या शुद्ध लेखनकला की, राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय, कोरोना का लाॅकडाउन हो या ठेके पर उमड़ी भीड़, छोटी हो या बड़ी हो, उसे स्वीकारने मात्र से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरना पत्थर की लकीर है।
#इंदु भूषण बाली