क्या लाॅकडाउन की चुनौतियों से निखरेगा अपना व्यक्तित्व?

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 चुनौतियों की पवित्रता का रसपान धरा पर विरले ही करते हैं। क्योंकि कायरों को चुनौती शब्द ही दिन को तारे दिखा देता है। जबकि महारथियों, ज्ञानियों, विद्वानों, मुनियों, आलोचकों, लेखकों, साहित्यकारों, शूरवीरों, महावीरों और कर्मवीरों के लिए चुनौती अमृत समान है। जिसे पीने के लिए वह हमेशा लालायित रहते हैं। चूंकि वह जानते हैं कि कुम्हार द्वारा मिट्टी को रौंद कर बनाए कच्चे घड़े का मूल्य आग में पकने के उपरांत ही पड़ता है और पकते ही सोने पर सुहागा हो जाता है। इसलिए चुनौती चाहे लाॅकडाउन की हो या पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की हो, उससे व्यक्ति का व्यक्तित्व हमेशा निखरता ही है। चूंकि चुनौतियां असल में कर्मवीरों के आभूषण होते हैं। जिन्हें स्वीकार करके वे अपनी गुणवत्ता को दर्शाते हैं। इसलिए चुनौतियां ही सफल जीवन का आधार होती हैं।
 लाॅकडाउन की भांति जीवन में कई चुनौतियां आती हैं। जिनका कर्मवीर सहजता से सामना करते हैं और कायर दुम दबाकर भाग निकलने का प्रयास करते हैं। जिसके फलस्वरूप कर्मवीर यश प्राप्त करते हैं और कायर अपमान पाते हैं।
 उल्लेखनीय है कि यदि किसी व्यक्ति को जीवन में निखरने की अभिलाषा हो तो उसे चुनौतियों को दावत देनी चाहिए। वह चुनौती चाहे सामाजिक हो या आर्थिक,  स्वच्छता की हो या स्वास्थ्य की, राजनीति की हो या घरेलू, पत्रकारिता की हो या शुद्ध लेखनकला की, राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय, कोरोना का लाॅकडाउन हो या ठेके पर उमड़ी भीड़, छोटी हो या बड़ी हो, उसे स्वीकारने मात्र से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरना पत्थर की लकीर है।

#इंदु भूषण बाली

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।