लाॅकडाउन में एक-दूसरे के राज्यों के लोगों को घर भेजने के लिए वही सावधानियां होनी चाहिए जो युद्धकाल में सेना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए अपनाई जाती हैं।बल्कि युद्धकाल से भी अधिक सावधानियां बरतनी अति आवश्यक हैं। क्योंकि युद्ध में शत्रु की उपस्थिति स्पष्ट होती है जबकि कोरोना अदृश्य शत्रु है। जिसके अब लक्षण भी दिखाई नहीं दे रहे।जिससे वह और भी अधिक धातक बन गया है। घर से बाहर फंसे हुए लोगों में अधिकांश मजदूर वर्ग है। जो रोजी-रोटी कमाने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्यों में गए हुए हैं। जिन्हें घर लाना उतना ही आवश्यक है जितना विदेशों से भारतीयों को भारत में लाना है। चूंकि वह भी श्रमिक हैं और यह भी श्रमिक हैं। आज चूंकि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस भी है और मजदूरों को उनके अपने-अपने राज्यों एवं घरों में पहुंचाना ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस’ का सर्वोच्च सम्मान है। इसलिए प्रवासियों को भी अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का सम्मान करते हुए प्रशासन का सहयोग करना चाहिए। ताकि प्रत्येक प्रवासी को कोरोना महामारी के समय लागु समस्त पाबंदियों, दिशा-निर्देशों, चेतावनियों इत्यादि सावधानियों का पालन करते हुए प्रशासन उन्हें साकुशल घर पहुंचा सके।
इंदु भूषण बाली