परवरिश

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आज अपनी सेवानिव्रत्ति लेकर लौटे भानुप्रसाद जी बड़े सोच में थेl दरवाज़ा खोलकर वहीं सोफे पर पसर जाते हैंl अब आगे कैसे होगा? अभी तो दो बच्चों की शादी भी नहीं हुई है और मैं सेवानिवृत्त!

तभी उनकी पत्नी विमला कमरे में आ जाती हैं और कहती हैं “आज तो ख़ुशी का दिन है फिर मुँह क्यों लटका हुआ है साहब का? हमें भी तो पता चले। आपको किसी ने कुछ कहा” …..बीच में बात काटते हुए वे कहते हैं” नहीं कुछ नहीं बस यूँ हीं!” अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान लेते हुए।

बच्चों को आवाज़ लगाती है “चीना, मुकुन्द ज़रा यहाँ तो आओ, आज शाम को बाहर खाना खाने ज़ाना हैं। पापा आज़ सेवानिवृत्त हो गये हैं अब रोज़ हमारे साथ रहेंगें।”

“अरे वाह मज़े आ गये तब तो आयोजन होना चाहिये! “बच्चे ख़ुश होते हुए कमरे में प्रवेश करते हैं और पापा से लिपट जाते हैं। पापा ……पर वो तो अंदर से रो रहे थे।

बच्चे बड़े थे सब समझ गये माज़रा क्या है? दोनों पास बैठते हैं और पापा को समझाते हैं “पापा पहले आपके सिर्फ़ दो हाथ कमाने वाले थे, पर अब हम दोनों भी तो कमाते हैं, तो बताओ कितने हाथ हो गये? सब मिलकर करेंगें तो सब काम सहज़ता से निबटा लेंगें। अब आप आराम करेंगें और हम काम फिर चिंता कैसी?”

यह सुनकर भानुप्रसाद जी की आँखों में ख़ुशी के आँसूं आ जाते हैं वे दोनों बच्चों को गले से लगा लेते हैं और कहते हैं कि “मैं तो भूल ही गया था कि मेरे चार हाथ और भी हैं।”

यह परवरिश का ही नतीजा था।

#नाम- नूतन गर्ग
साहित्यिक उपनाम- नूतन गर्ग
राज्य- दिल्ली
शहर- दिल्ली
शिक्षा- एम०ए०बीएड ०
कार्यक्षेत्र- शिक्षिका, लेखिका, कवयित्री, समाज सेविका
प्रकाशन- कई समाचार पत्रों व पुस्तकों में प्रकाशित
सम्मान- अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा काव्य भूषण सम्मान और लघुकथा भूषण सम्मान, स्टोरी मिरर द्वारा स्टोरी राइटिंग, स्टोरी मिरर द्वारा साहित्यक कैप्टन, स्टोरी मिरर द्वारा साहित्यक कर्नल और जय नदी जय हिंद साहित्यिक समूह द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचनाकार आदि
ब्लॉग-स्टोरी मिरर, प्रतिलिपि, जय विजय, अमर उजाला काव्य
अन्य उपलब्धियाँ-
लेखन का उद्देश्य- अपनी लेखनी के माध्यम से सकारात्मक दिशा देना

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।