अनुवाद से मौलिकता समाप्त होती हैं ,गुणवत्ता का ह्रास होता ।मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाओं -आचार्य विद्यासागरजी मसा.
नागदा (धार) |
विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर 2019 को शिक्षाविद स्व.डॉ.गुलाब चौरसिया की स्मृति में शिक्षक संदर्भ समूह भोपाल द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की पावन निश्रा में जैन तीर्थस्थल नेमावर ,हरदा में आयोजित शैक्षिक समारोह में गुणवत्ता सुधार एवं प्रारम्भिक शिक्षा को आकर्षक बनाने के लिए शिक्षकों द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की सराहना करते हुए – आचार्य श्री ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट के लिए आवश्यक सुझाव के लिए ,आयोग के अध्यक्ष कस्तूरीरंजन जी जो स्वं आचार्य श्री के पास आये थे ,,को आचार्य श्री ने उन्हें दिए गए मूल्यवान सुझावों को भी साझा किया। आचार्य श्री ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही कि यदि आप लोग भारत को विश्व गुरु के रूप में देखना चाहते हो तो मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाओ।अंग्रेजी माध्यम का मोह हमें छोड़ना होगा। अंग्रेजी को केवल भाषा के रूप में सीखो और सिखाओ। क्योंकि भारतीय संस्कृति और ज्ञान सम्रद्ध ,पुरातन और वैज्ञानिक है जिसमे मानवीय मूल्यों का विशेष स्थान है और ये ज्ञान सँस्कृत और भारतीय भाषाओं में ही आत्मसात किया जा सकता है। अनुवाद से मौलिकता समाप्त होती है और गुणवत्ता का ह्रास होता है।*
आचार्य श्री विद्यासागर सागर जी महाराज सा. के पावन सानिध्य में डॉ दामोदर जैन समन्वयक शिक्षक संदर्भ समूह भोपाल एवं डॉक्टर अंजू बाजपेई स्कूल शिक्षा,संयुक्त संचालक लोकशिक्षण इंदौर श्री मनीष वर्मा की उपस्थिति में गोपाल कौशल माकनी,सुभाष यादव कागदीपुरा,श्री राजेश जैन प्राचार्य बगड़ी ,श्री राजेंद्र पाल सिंह डंग,इंदर सिंह राठौर,अतुल मिश्र को प्रशस्ति पत्र, एवं आशीर्वाद स्वरूप आचार्य श्री विद्यासागरजी मसा. द्वारा लिखित पुस्तकों का संग्रह किट प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शिक्षक संदर्भ समूह भोपाल द्वारा प्रकाशित शिक्षकों की शैक्षिक यात्रा का विमोचन भी आचार्य विद्यासागरजी म.सा.एवं अतिथियों ने किया ,इस पुस्तक में धार के नवाचारी शिक्षक सुभाष यादव कागदीपुरा,गोपाल कौशल माकनी की शैक्षिक यात्रा शामिल की गई है । तथा आचार्य श्री द्वारा रचित ” जैन गीता “ का विमोचन भी किया गया । इस अवसर पर डॉ. दामोदर जैन ने कहा कि – ” शिक्षक ही समाज को बनाते हैं ऐसे मे उनके प्रति सम्मान की भावना होना जरुरी हैं । इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि शिक्षक महत्वपूर्ण कब और कैसे मानें जा सकगे । “ आयोजन में देशभर से पधारे अनेक राज्यों के शिक्षक एवं शिक्षाविदों ने भाग लिया।