पद्मश्री राम बहादुर राय को मिला हिंदी रत्न सम्मान

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देश के जाने-माने पत्रकार,चिंतक और हिन्दुस्थान समाचार के समूह संपादक पद्मश्री राम बहादुर राय को पत्रकारिता और हिन्दी भाषा की सेवा के लिए प्रतिष्ठित ‘हिन्दी रत्न’ सम्मान से विभूषित किया गया है.
एक अगस्त को नई दिल्ली के हिन्दी भवन की ओर से उन्हें यह सम्मान संस्था के अध्यक्ष एवं कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने भव्य समारोह में प्रदान किया. हिन्दी भवन के मंत्री गोविंद व्यास ने उन्हें एक लाख रुपये की सम्मान राशि और गुजरात के पूर्व राज्यपाल ओपी कोहली ने वाग्देवी की प्रतिमा भेंट की तो खचाखच भरा हिंदी भवन का प्रथम तल सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सम्मान ग्रहण करने के बाद कृतज्ञता भाव अभिव्यक्त करते हुए रामबहादुर राय ने कहा कि आजादी के बाद हिन्दी और भारतीय भाषाओं को उनका उचित दर्जा नहीं मिला.
उन्होंने कहा कि आज भी सत्ता में अंग्रेजी भाषा का दबदबा है, जबकि अब अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी और भारतीय भाषाएं विराजमान होनी चाहिए थी.उन्होंने स्पष्ट किया कि अंग्रेजी विश्व भाषा है ही नहीं बल्कि ये तो केवल पांच देशों की भाषा मात्र है. उन्होंने कहा कि असल में ये सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की भाषा है. उन्होंने भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिए जाने पर जोर दिया।उन्होंने इसके लिए देश में एक अभियान चलाने का भी आह्वान किया.
राम बहादुर राय ने अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वतंत्रता दिवस पर लालकिला की प्राचीर से दिए जाने वाले भाषण में हिन्दी के मुद्दे को शामिल करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि मोदी 15 अगस्त के भाषण में कहें कि मैं हिन्दी और भारतीय भाषाओं को उनका सम्मान दिलाने का निर्णय करता हूं. उन्होंने कहा कि हिन्दी आज  विश्व में चौथे स्थान पर है.जबकि  हमारे द्वारा प्रयास करने पर हिन्दी 55 देशों की भाषा होकर विश्व भाषा बन सकती है. उन्होंने कहा कि 55 करोड़ से अधिक लोग आज हिन्दी बोलते हैं.
उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा हिन्दी और भारतीय भाषाओं के अध्यापन की उचित व्यवस्था नहीं किए जाने पर चिंता और नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने मौजूदा सरकार से हिंदी के लिए सकारात्मक कदम उठाने की उम्मीद भी की।
पद्मश्री राय ने इस अवसर पर महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का हिन्दी के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने 15 अगस्त 1947 को कलकता में बीबीसी  के माध्यम से देश को संदेश देते हुए कहा था कि, वह अंग्रेजी भूल गए हैं. उन्होंने 4 मार्च 1942 को महात्मा गांधी द्वारा नेहरू को लिखे एक पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा धर्म है कि हम एक दूसरे से राष्ट्र भाषा में ही संवाद करें.
राम बहादुर राय ने हिन्दी के प्रति  आरएसएस की चिंता का जिक्र करते हुए कहा कि आरएसएस ने 9 मार्च 2018 की अपनी प्रतिनिधि सभा में हिन्दी को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था.जिसमे हिंदी के उत्थान का संकल्प लिया गया था। उन्होंने कहा कि आरएसएस समेत देश का एक बढ़ा हिस्सा हिंदी की उपेक्षा को लेकर चिंतित है.
उन्होंने ने दिल्ली सरकार द्वारा हिन्दी के स्थान पर अंग्रेजी को महत्व दिए जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अन्ना आंदोलन से निकला व्यक्ति आज दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए ‘सम-विषम’ नियम के बजाय ऑड-ईवन फार्मूला को वरीयता दे रहा है.जो हिंदी के प्रति उपेक्षा का प्रमाण कहा जा सकता है।
पूर्व राज्यपाल त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय को हिन्दी रत्न सम्मान देने में हिंदी भवन संस्थान स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है. उन्होंने कहा कि राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन जयंती पर प्रख्यात पत्रकार पंडित भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में हिन्दी भवन प्रत्येक वर्ष एक अगस्त को यह सम्मान किसी बड़े हिंदी सेवी को देता है।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने सम्मान समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता की. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के नाते कादम्बिनी के मुख्य कॉपी संपादक संत समीर और उत्तराखंड, रुड़की के वरिष्ठ सहित्यकार व पत्रकार योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण ने भी अपने उदबोधन में राम बहादुर राय को मिले हिंदी रत्न सम्मान को एक सही चयन बताया और कहा कि इससे हिंदी जहां बलवती होगी वही हिंदी को आत्मसात किये जाने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।इस सम्मान समारोह की विशेषता यह रही कि इसका प्रत्यक्ष साक्षी बनने के लिए दिल्ली समेत कई राज्यो के हिंदी प्रेमी लालायित नजर आए।सभागार में दर्शकों के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय व सांसद मनोज सिन्हा की मौजूदगी समारोह की गरिमा को बयां कर रही थी।दर्शको में श्रीवेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति राजीव त्यागी,साहित्यकार डॉ बीएल गौड़ आदि मौजूद रहे।
#डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।