*मुलाकात* भाग -4

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omprakash lovanshi
“आज हिम्मत करके आया था कि आज तो प्रपोज कर ही दूंगा”! KST के किनारे लक्खी  बुर्ज पर मिलना था उससे!
 मैं असमंजस में था कि क्या गिफ्ट दूं फिर अचानक से याद आया कि गोल्डन पेन दे देता हूँ  हमेशा साथ रखेगी!  Deo छीड़ककर मिलने को तैयार हुआ और जा पहुँचा लक्खी बुर्ज अपने लक के लिए! वह पहले से ही अपनी सहेली के साथ मेरा वेट कर रही थी!  हाय, हेलो के बाद उसकी सहेली दूर चली गई और हम बातचीत करने लगे उसने कहा -आज कुछ खास,  मैंने कहा- ya, !  मैं गुलाब देते हुए बोला -आई लव यू मेरी जान! उसने गुलाब लिया और सीने से लगाकर  बोली- लव यू टू माय डियर, उसने बाहें फैला दी और मैंने भी , हम एक दूसरे की बाहों में समा गए! फिर मैंने गोल्डन पेन दिया तो उसने थैंक्स कहा और आंखें बंद करने के लिए बोली ! ” वन गिफ्ट ओनली फॉर यू” बोला और गाल पर Kiss  कर दिया मैंने आंखें खोली आज हम दोनों बहुत खुश थे ! थोड़ी देर बाद उसकी फ्रेंड भी आ गई उसने कहा , चलो कुछ खाते हैं , फिर हम बुर्ज से उतरकर KST के किनारे लगी दुकानों की तरफ गये! पानी पतासी वाले के पास उनके पाँव थमने लगे तो मैं समझ गया कि गर्ल्स को पतासी ज्यादा ही पसंद होती है ! उसकी सहेली ने कहा -पतासी खाये,  उसने हां कर दिया और  मैंने भी कह दिया हाँ ,  बिल्कुल! हम पतासी वाले के पास गये,  उसने पतासी वाले से कहा- भैया दो प्लेट बना दो,  एक प्लेट हमारे लिए और दूसरी उसकी फ्रेंड के लिए!  उसने पहली पतासी मुझे खिलाई तो भाई हम भी कहां पीछे रहने वाले थे हमने भी बड़ी सी पतासी उठाये और मुंह में रख दिये! पहली बार किसी girls  के साथ एक प्लेट पानी पतासी खायी थी आज. . . . ! !
नाम- ओम प्रकाश लववंशी
साहित्यिक उपनाम- ‘संगम’
राज्य- राजस्थान 
शहर- कोटा 
शिक्षा-  बी.एस. टी. सी. , REET 2015/2018, CTET, RSCIT, M. A. हिन्दी , B. Ed. 
कार्यक्षेत्र- अध्ययन, लेखन, 
विधा -मुक्तक, कविता , कहानी , गजल, लेख, निबंध, डायरी 
प्रकाशित रचना -( , चर्मण्यवती पत्रिका, कोटा मे
1. टोपा-टॉपर -लेपटॉप 
2. मैं हूँ नन्हा सा परिन्दा 
3. माँ चर्मण्यवती

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