एक होता था राजा
पूरे व्रह्माण्ड पर भारी
उनसे डरते थे दुष्ट दुराचारी।
त्रस्त होते लोग
भ्रष्ट होते लोग
आधुनिकता की चादर में
असभ्य होते लोग।
पथ न मंजिल
इधर-उधर भटकते लोग
मान मर्यादा इज्जत प्रतिष्ठा से
वेफिक्र होते लोग।
वेहिसाब नफरतो का
एक दूसरे पर तोहमतो का
पग-पग लगा डेरा
गलतफहमियों के शिकार होते लोग।
झूठ फरेब के श्रृंगार से
सुन्दरता का वखान करते लोग
पीठ पीछे शिकायतों का
भरमार करते लोग।
भय जन अनमोल है
भय बिन न संस्कार
भय बिन दंड के
दुराचारी सजे दिन-रात।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति