दोस्ती 

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meena kumari solanki
       मोतिझारे की गंभीर अवस्था से पीड़ित मैं नीचे वाले कमरे मैं बिस्तर पर अकेले  पड़ी थी। तभी अचानक मुख्यद्वार पर एक आहट हुई।  सिर पर आटे का कटा लिए उसने उतावलेपन में मुख्य द्वार से सटे रसोई घर में प्रवेश किया और शीघ्रता से उस आटे के कट्टे को मेरे आटे के बर्तन में उड़ेल दिया। फिर उसने कट्टे को एक कोने में छुपा कर रख दिया ।। अब उसने एक कागज के बने लिफाफे से मुट्ठी भर मूंग की दाल निकाली और पतीला ले गैस पर बनने के लिए चढ़ा दी। उसने तत्परता दिखाते हुए परांत उठाई और थोड़ा आटा गुंना। तब तक नमक वाली दाल पक चुकी थी। उसने तवा चढ़ा एक पतला फुलका सेका और एक बर्तन में दाल का पानी और रोटी की पपड़ी मेरे सामने परोसी ।
         उसके चेहरे की तरफ देख कर मुझसे रहा ना गया और पूछ बैठी “यह आटा कहां से लाई हो” ” आप पहले रोटी खा लीजिए” उसने कहा ।। “खा लूंगी पहले बताओ “मैं बोली । “चक्की पर पिसवा कर लाई हूं “उसने जवाब दिया ।। “और गेहूं !  गेहूं कहां से आए ?  अपने अनाज की टंकी में से ले गई थी” ” मम्मी को मालूम है ?  “नहीं”  “गलत बात है ।वह क्रोधित होंगी तो!” मैंने उसकी तरफ थोड़ा गुस्से में देखा । “होने दो, आपने कई दिनों से कुछ नहीं खाया ।  जल्दी से पहले कुछ खा लो । फिर बातें करना । “तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था”  मैंने थोड़ा डांडा । आपने इतने दिनों से कुछ नहीं खाया तो क्या मैं आपको भूखे रहने दूं। घर में आटा भी नहीं था तो फिर चवन्नी- अठन्नी को क्या खिलाया होगा  और आप तो गर्दन भी नहीं उठा सकती फिर कैसे काम करती । मां के डांटने पर इतना दुख नहीं होगा जितना पिछले कुछ दिनों से आपके भूखा रहने पर हुआ यहां आप की देखभाल ही कौन करता है ? और मैं भी ना करूं तो!   वह मां बन कर मुझ पर बरसे जा रही थी और मैं चुपचाप सुने जा रही थी ।वह फिर बोली मां की गौतन होने से आप मेरी मौसी लगी ।एक रिश्ते में आप मेरी भाभी भी लगी। फिर आप मेरी ट्यूशन वाली टीचर भी हो ।परंतु इन सबसे ऊपर आपके साथ मेरा एक और रिश्ता है और वह है दोस्ती का ।  इस दोस्ती को मैं भला कैसे भूल जाऊं ?  मैं सोचती ही रह गई अध्यापिका कौन है मैं या वो ।
परिचय-
नाम ___डॉ मीना कुमारी सोलंकी
जन्म स्थान ___नीमली ,चरखी दादरी, हरियाणा 
पिता ___सूबेदार शीशराम 
माता ___श्रीमती फूलवती टेलरणी
 योग्यता ___एम ए ,एमफिल ,पीएचडी हिंदी ,एम ए एजुकेशन ,जेबीटी ,बीएड , टैट ,स्क्रीनिगं आदि
व्यवसाय ___अध्ययन, अध्यापन 
रुचि ____नृत्य ,गायन, अभिनय, वादन ,डीबेट करना आदि
 विशेष __स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन तथा कवि सम्मेलन एवं सेमिनारों में सहभागिता।
पत्राचार__  डॉ मीना कुमारी  c/o देईचंद सांगी
 गांव व डाकखाना –सांखोल 
तहसील -बहादुरगढ़ 
जिला -झज्जर (हरियाणा )

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।