नदी पहाड़ और जंगल
सुरक्षित रहेंगे तो होगा
सबका मंगल ही मंगल।
नदी की रफ्तार,
बँध चुकी जबसे
बही नही कभी मन से
वायुमंडल में बढा
दंगल ही दंगल।
पहाड़ को बाँटकर
टुकडो में हिला दिया
उसका भी इरादा
अब दंगल ही दंगल।
जंगल की कटाई
रास न आयी
गर्मी बढाकर
देखो बरसात न आई
परेशानी का दंगल ही दंगल।
प्राकृतिक आपदाओ
से अगर बचना है
तीनो का हिफाजत करना
फिर मिलेगा स्वच्छ वायुमंडल
कभी न होगा दंगल ही दंगल
चहुओर रहेगा मंगल ही मंगल।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति