जिम्मेदार कौन या जिम्मेदार मौन?

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arpan jain

पुलवामा आत्मघाती हमला,

सरहद और संसद दोनों पर ही मानसिक हमला हुआ है, न के घाटी दहल गई बल्कि उसी के साथ भारत की वो पीढ़ी भी दहल रही है जिसके ख्वाबों में सरहद पर जा कर देश सेवा करना आता है, वो भी दहल गए जिनके दिल में राष्ट्र सर्वोपरि है, वो भी दहल गए जो सेना से प्रेम करते है, वो आवाम भी दहल गई जो घाटी में रहती है, वो भी दहल गए जो देश के सुरक्षित होने का अभिमान करते है, वो भी दहल गए जिन्होंने ५६ इंची सीने की दहाड़ सुनी थी, वे सब दहल गए जिन्होंने राष्ट्र नहीं बिकने दूंगा,राष्ट्र नहीं झुकने दूंगा सुना था…  वे सभी दहल गए जिनके दिल में राष्ट्र है … और कयास यही कि जिम्मेदार कौन ?

गुरुवार को श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोर के पास गोरीपोरा में एक स्थानीय आत्मघाती आदिल अहमद उर्फ वकास ने कार बम से सीआरपीएफ के एक काफिले में शामिल बस को उड़ा दिया। हमले में 28 जवान शहीद हो गए, जबकि 36 जख्मी हो गए। विस्फोट में तीन अन्य वाहनों को भी क्षति पहुंची है। सभी घायल जवानों को उपचार के लिए बादामी बाग सैन्य छावनी स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में दाखिल कराया गया है। हमले की जिम्मेदारी तो आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ले ली है। समाचार तो कह रहे है कि आत्मघाती आदिल अहमद उर्फ वकास-हमला जैश ए मोहम्मद द्वारा बनाए गए अफजल गुरु स्कवाड ने किया है। हमले से कुछ समय पहले का आदिल का वीडियो जो अफजल गुरु स्कवाड के मीडिया ने जारी किया है।

इसके बाद भी कहाँ गए वो जिम्मेदार जिनके कन्धों पर देश की सुरक्षा का जिम्मा है, कहा गए वो अजित डोभाल जो ये कहते कभी थकते नहीं की देश सुरक्षित हाथों में है। देश के सुरक्षा जवानों के शीश नहीं कटने देंगे या उनके प्राणों की आहुति नहीं होने दी जाएगी। आखिरकार पुलवामा हमले ने बता दिया की देश की अस्मत के साथ खेलने वाले यथावत जिन्दा है, नोटबंदी के बाद उन आतताइयों के पास नकली नोट ख़त्म होने से कमजोर हो गए आतंकी ये कहने वालों के मुँह पर करारा तमाचा है पुलवामा हमला।

कई सुहागनों का सिंदूर उजड़ गया, बहनों की राखी मौन हो गई उसके बाद भी देश के प्रधान अपनी चुप्पी पर मुग्ध है। यहाँ घाटी ने ललकार खोई है और वह लुटियन दिल्ली केवल वैश्विक दबाव का इंतजार करती हुई मौत पर तमाशे माना रही है।

देश में बजने वाले तानपुरे भी कवि हरिओम पंवार ने वीर रस की रचना कहने लगे है ‘सेना को आदेश थमा दो, घाटी गैर नहीं होगी। जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा, उसकी खैर नहीं होगी।’ और आज तो जिम्मेदारों की शांति वार्ताओं के चलते सेना ही असुरक्षित हो गई है। फिर कहे की राफेल खरीदी और कहे की हथियारों की खरीदी।

लुटियन दिल्ली की आदत में शुमार हो गया है जम्मू-कश्मीर मसले पर केवल शांति पैगाम भेजना, शांति दूत बन कर जाना, देश में ज्यादा बवाल हो जाए तो यूएन में जा कर बच्चों की तरह केवल चुगली करके आ जाना। क्योंकि यहाँ कोई ५६ इंची सीना है ही नहीं जो दम ख़म से आतंक के हर एक नापाक मसूबों पर पानी फेर सकें, यहाँ तो हिंदी की कहावत ‘थोथा चना बाजे घना’ ही चरितार्थ है। केवल चुनावी बरसाती मेंढकों की तरह चुनाव आते है चिल्लाना शुरू कर देंगे, जुमले बाज़ी का दौर आ जायेगा, देश को झूठे वादे, झूठी कसमें दी जाएगी पर अन्तोगत्वा देश की सीमा और आतंरिक हालात असुरक्षित है। इसके जिम्मेदार कौन है यह तो सवाल नहीं क्योंकि जो जिम्मेदार है वो मौन है।

पुलवामा हमले में धमाके की आवाज से पूरा इलाका दहल गया और आसमान में काले धुुएं के गुब्बार के साथ सड़क पर लोगों को रोने-चिल्लाने की आवाजें आने लगी थी। उन रुदन के बदले तुम तो इतना भी आदेश नहीं थमा पाए कि जम्मू और कश्मीर की तरफ निगाह उठाने वालों को दुनिया के नक़्शे से उठा दो। आखिर किस मज़बूरी के चलते अब तक केवल शांति के श्वेत कबूतर ही उड़ाए जा रहे है? क्यों घाटी में छिपे बंकर नहीं उड़ा दिए जाते? सियासत को लहू पिने की आदत तो है साथ-साथ मातम पर भी सियासत करके शांती का राब्ता कायम करने की भी आदत है। देश की सल्तनत को कठोर निर्णय लेकर राष्ट्र को सुरक्षित होने का एहसास दिलाना होगा वर्ना ये राष्ट्र भी रणबांकुरे पैदा करता है। वो शांति नहीं सुरक्षा चाहते है, वार्ता नहीं परिणाम मांगते है। समय को समझ कर राष्ट्र की अस्मत और सुरक्षा की व्यवस्था करना ही राजा का दायित्व है। न की खोखली बातो से देश को बरगलाना। याद रहें नायक तुम्हारी जबान में राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा महत्वपूर्ण होनी चाहिए। ।

#डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’

परिचय : डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ इन्दौर (म.प्र.) से खबर हलचल न्यूज के सम्पादक हैं, और पत्रकार होने के साथ-साथ शायर और स्तंभकार भी हैं। श्री जैन ने आंचलिक पत्रकारों पर ‘मेरे आंचलिक पत्रकार’ एवं साझा काव्य संग्रह ‘मातृभाषा एक युगमंच’ आदि पुस्तक भी लिखी है। अविचल ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा है। इन्होंने आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता का आधार आंचलिक पत्रकारिता को ही ज़्यादा लिखा है। यह मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बढ़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया है। बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग (कम्प्यूटर  साइंस) करने के बाद एमबीए और एम.जे.की डिग्री हासिल की एवं ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियों’ पर शोध किया है। कई पत्रकार संगठनों में राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं। पत्रकारों के लिए बनाया गया भारत का पहला सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपीडिया (www.IndianReporters.com) भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है।लेखक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा देश में हिन्दी भाषा के प्रचार हेतु हस्ताक्षर बदलो अभियान, भाषा समन्वय आदि का संचालन कर रहे हैं।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।