चल कीर्तन कर ले “धरतीपुत्र”
अब लोकसभा की बारी आयी
आधी रात के काले कागों ने
जब नेताओं की कूदा फ़ांदी गायी
अपने कुछ मुद्दो को लेकर
नेता उछल कूद कर जायेंगे
इस दल से उस दल तक वे
दलदल का गंध गिरायेंगे
दलबदलू की परिभाषा में
न जाने कितने नाम जुड़े
इस लोकसभा के महायुद्ध में
न जाने फ़िर कितने तीर उड़े
तुम अपनी अपनी खादी को
सब स्त्री करवा कर रख लेना
ओ नेतागिरि के बेहरे परवानो
चापलुस की चटनी चख लेना
इस उछल – कूद के मौसम में
कही लोभ की बारिश भी होगी
जनता के भरोसे की , कीमत
लखटकिया के सांचो में होगी
चल कीर्तन कर ले “धरतीपुत्र”
अब लोकसभा की बारी आयी
आधी रात के काले कागों ने
जब नेताओं की कूदा फ़ांदी गायी
#रजनीश दुबे “धरतीपुत्र”