बर्दाश्त हो जाएगा
किराए के घर में रहना जिसमें
न छज्जा है, न बैठका, न बरजा
बस! अंधी-अंधी दो ठिंगनी कोठरियाँ हैं
बिना खिड़कियों और रोशनदानों वालीं
जहाँ ततैये भी बचते हैं
अपने घरौंदे बनाने से;
बर्दाश्त हो जाएगा
कर्ज़ में आकंठ डूबे हुए अपने घर में रहना
जहाँ एक अदद कोठरी में ही
अघा जाता है मन
आसन्न बौने शौचालय, रसोई और मंदिर से,
पढ़ लेते हैं चालीसा वहीं कोमोड पर बैठकर
और जीम लेते हैं कलेवा आराम से वहीं
सो लेते हैं पइयाँ एक अदद चौकी के नीचे
उसी शौचालय से सटकर;
बर्दाश्त हो जाएगा
भीड़ द्वारा हड़पी गई सीटों वाले वाहनों में
पायदान पर दो इंच वाली मिली जगह पर
खड़े-खड़े मीलों यात्रा करना और
आख़िरकार महफ़ूज़ घर पहुँच ही जाना;
बर्दाश्त हो जाएगा
संकरी-सर्पीली गलियों में
हत्यारी मोटरगाड़ियों से बचते-बचाते
गंतव्य तक पहुँच जाना
और डिवाइडरों पर कलाबाज़ियाँ करते हुए
मशक्कत से लौटना अपने बसियाए नीड़ में;
पर, बर्दाश्त नहीं होते
संकरे-छिछले, फिसलौवें-चिकने दिलवाले
जो किसी भी तरह नहीं दे पाते
रत्ती-भर जगह रहने के लिए हमें
हाँ, थोड़े समय के लिए ही अपने दिलों में;
जहाँ उनकी इम्पोर्टिड ग़ाड़ियाँ फर्राटे भर लेती हैं
वे वाकई बना लेते हैं सर्वसुविधासंपन्न इमारतें वहाँ
और रहते हैं बड़े ठाट -बाट से
अपने लिए हथेलियों पर जान से खेलते ख़िदमतदारों संग;
बेशक, बड़े-बड़े दालानदार दिलों वाले होते
अग़र इस जहान में
यह दुनिया कभी न होती इतनी सँकरी-उथली-छोटी
हम उन्हीं बड़े दिलों में उगा लेते
सभी के लिए अकूत खाद्यान्न
लगा देते फैक्ट्रियाँ जीने के लिए ज़रूरी सामानों की
बसा देते वहाँ भिखारियों और अकिंचनों को
सौंप देते सत्ता अपने दिलों की उनके हाथों
और दे देते उन्हें आमरण अभयदान।
#नाम (जो अभिलेखों में है) : डॉ. मनोज श्रीवास्तव
पिता: (स्वर्गीय) श्री एल.पी. श्रीवास्तव,
माता: (स्वर्गीया) श्रीमती विद्या श्रीवास्तव
जन्म-स्थान: वाराणसी, (उ.प्र.)
शिक्षा: जौनपुर, बलिया और वाराणसी से (कतिपय अपरिहार्य कारणों से प्रारम्भिक शिक्षा से वंचित रहे) १) मिडिल हाई स्कूल–जौनपुर से २) हाई स्कूल, इंटर मीडिएट और स्नातक बलिया से ३) स्नातकोत्तर और पीएच.डी. (अंग्रेज़ी साहित्य में) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से; अनुवाद में डिप्लोमा केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो से
पीएच.डी. का विषय: यूजीन ओ’ नील्स प्लेज़: अ स्टडी इन दि ओरिएंटल स्ट्रेन
लिखी गईं पुस्तकें: 1-पगडंडियां (काव्य संग्रह), वर्ष 2000, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, न.दि., (हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा चुनी गई श्रेष्ठ पाण्डुलिपि); 2-अक़्ल का फलसफा (व्यंग्य संग्रह), वर्ष 2004, साहित्य प्रकाशन, दिल्ली; 3-अपूर्णा, श्री सुरेंद्र अरोड़ा के संपादन में कहानी का संकलन, 2005; 4- युगकथा, श्री कालीचरण प्रेमी द्वारा संपादित संग्रह में कहानी का संकलन, 2006; चाहता हूँ पागल भीड़ (काव्य संग्रह), विद्याश्री पब्लिकेशंस, वाराणसी, वर्ष 2010, न.दि., (हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा चुनी गई श्रेष्ठ पाण्डुलिपि); 4-धर्मचक्र राजचक्र, (कहानी संग्रह), वर्ष 2008, नमन प्रकाशन, न.दि. ; 5-पगली का इंक़लाब (कहानी संग्रह), वर्ष 2009, पाण्डुलिपि प्रकाशन, न.दि.; 6.एकांत में भीड़ से मुठभेड़ (काव्य संग्रह–प्रतिलिपि कॉम), 2014; 7-प्रेमदंश, (कहानी संग्रह), वर्ष 2016, नमन प्रकाशन, न.दि. ; 8. अदमहा (नाटकों का संग्रह) ऑनलाइन गाथा, 2014; 9–मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में राजभाषा (राजभाषा हिंदी पर केंद्रित), शीघ्र प्रकाश्य; 10.-दूसरे अंग्रेज़ (उपन्यास); 11. संतगिरी (कहानी संग्रह), अनीता प्रकाशन, ग़ाज़ियाबाद, 2017; चार पीढ़ियों की यात्रा-उस दौर से इस दौर तक (उपन्यास) पूनम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, 2018; 12. महापुरुषों का बचपन (बाल नाटिकाओं का संग्रह) पूनम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, 2018; चलो, रेत निचोड़ी जाए, नमन प्रकाशन, 2018 (साझा काव्य संग्रह) आदि
संपादन: “महेंद्रभटनागर की कविता: अन्तर्वस्तु और अभिव्यक्ति”
संपादन: “चलो, रेत निचोड़ी जाए” (साझा काव्य संग्रह)
–अंग्रेज़ी नाटक The Ripples of Ganga, ऑनलाइन गाथा, लखनऊ द्वारा प्रकाशित
–Poetry Along the Footpath अंग्रेज़ी कविता संग्रह शीघ्र प्रकाश्य
–इन्टरनेट पर ‘कविता कोश’ में कविताओं और ‘गद्य कोश’ में कहानियों का प्रकाशन
–वेब पत्रिकाओं में प्रचुरता से प्रकाशित
–महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्याल, वर्धा, गुजरात की वेबसाइट ‘हिंदी समय’ में रचनाओं का संकलन
–सम्मान–‘भगवतप्रसाद कथा सम्मान–2002’ (प्रथम स्थान); ‘रंग-अभियान रजत जयंती सम्मान–2012’; ब्लिज़ द्वारा कई बार ‘बेस्ट पोएट आफ़ दि वीक’ घोषित; ‘गगन स्वर’ संस्था द्वारा ‘ऋतुराज सम्मान-2014’ राजभाषा संस्थान सम्मान; कर्नाटक हिंदी संस्था, बेलगाम-कर्णाटक द्वारा ‘साहित्य-भूषण सम्मान’; भारतीय वांग्मय पीठ, कोलकाता द्वारा ‘साहित्यशिरोमणि सारस्वत सम्मान’ (मानद उपाधि); प्रतिलिपि कथा सम्मान-2017 (समीक्षकों की पसंद); प्रेरणा दर्पण संस्था द्वारा ‘साहित्य-रत्न सम्मान’ आदि
“नूतन प्रतिबिंब”, राज्य सभा (भारतीय संसद) की पत्रिका के पूर्व संपादक
“वी विटनेस” (वाराणसी) के विशेष परामर्शक, समूह संपादक और दिग्दर्शक
‘मृगमरीचिका’ नामक लघुकथा पर केंद्रित पत्रिका के सहायक संपादक
हिंदी चेतना, वागर्थ, वर्तमान साहित्य, कथाक्रम, समकालीन भारतीय साहित्य, भाषा, व्यंग्य यात्रा, उत्तर प्रदेश, आजकल, साहित्य अमृत, हिमप्रस्थ, लमही, विपाशा, गगनांचल, शोध दिशा, दि इंडियन लिटरेचर, अभिव्यंजना, मुहिम, कथा संसार, कुरुक्षेत्र, नंदन, बाल हंस, समाज कल्याण, दि इंडियन होराइजन्स, साप्ताहिक पॉयनियर, सहित्य समीक्षा, सरिता, मुक्ता, रचना संवाद, डेमोक्रेटिक वर्ल्ड, वी-विटनेस, जाह्नवी, जागृति, रंग अभियान, सहकार संचय, मृग मरीचिका, प्राइमरी शिक्षक, साहित्य जनमंच, अनुभूति-अभिव्यक्ति, अपनी माटी, सृजनगाथा, शब्द व्यंजना, अम्स्टेल-गंगा, इ-कल्पना, अनहदकृति, ब्लिज़, राष्ट्रीय सहारा, आज, जनसत्ता, अमर उजाला, हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, कुबेर टाइम्स आदि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, वेब-पत्रिकाओं आदि में प्रचुरता से प्रकाशित
आवासीय पता: गाज़ियाबाद, उ०प्र०, भारत.
सम्प्रति: भारतीय संसद में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत