सारथी

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ragini tripathi
मुझे मौन के काँधे रखकर सर,
बस सोना है सो जाने दो।
सुनो,धैर्य के कोमल पुष्पों को,
मत मेरे लिए मुरझाने दो।।
अभिलाषा की किरणों को,
भाग्य तुम्हारा सजाने दो।।
इस पथ की धूमिल मिट्टी मैं,
अब चंदन सा हो जाने दो।।
मैं धरा की बेटी ही तो हूँ,
अब धरा में मुझे समाने दो।
इस मौन के काँधे सर रखकर,
तुम आज मुझे सो जाने दो।
मैंने जीवन के इस पथ पर,
हर युद्ध अकेले लड़ा तो है,
पर अब मन की अभिलाषा है,
मुझे अब विराम हो जाने दो।
मैं तेरी सारथी सी बनकर,
हर पथ में तेरे साथ रही,
अब तुमको डोर थमाती हूँ,
मुझे धूमिल तुम हो जाने दो।
इस जन्म और मृत्यु से निर्भय,
तुम्हे लक्ष्य को गले लगाना है।
बस याद हमेशा रखना तुम,
जो आया है उसे जाना है।।
तुमसे विदा होकर”देवशी”को
अब जन्म नया एक पाने दो।
बस मौन के काँधे रखकर सर,
तुम आज मुझे सो जाने दो।।
तुम आज मुझे सो जाने दो।।

#रागिनी त्रिपाठी “देवशी”

परिचय
जीवन परिचय*
रागिनी त्रिपाठी”देवशी’
पिता-स्व.श्री देवी प्रसाद त्रिपाठी
माता-स्व. श्रीमती शशी प्रभा त्रिपाठी
वर्तमानपता-गांधीनगर गुजरात 
शिक्षा – 1.परस्नातक- अर्थशास्त्र
2.परस्नातक-अंग्रेजी साहित्य
3.परस्नातक- शिक्षाशास्त्र
बी,एड तथा ऍम,एड
पी.एच.डी ( पंजीकृत)
-व्यवसाय- प्रशासनिक अधिकारी व् उपवक्ता

*प्रकाशित *
एकल- मेरे मौन के साथी
एकल- मृगतृष्णा
साँझा- हौसलों की उड़ान
साँझा- सत्यम प्रभात
साँझा – कलम के कदम
आगामी- लाडो (एकल)
What I want is still a question(मनोविज्ञान में आधारित युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन देती एक पुस्तक)
लेख -गुफ्तगू साहित्य (क्या मैं आज़ाद हूँ?)

**विभिन्न पत्र एवम् पत्रिकाओं में लेख
1,दैनिक जागरण -रंगों से बिछड़ते बच्चे (लेख)
2,प्रशाशनिक सर्वेक्षण- तकनिकी विकास और उलझते बच्चे
3, विश्व साहित्य पुरस्कृत

**रिसर्च कार्य
1.शिक्षण एक अनुभव या समझौता
2.शिक्षक व्यवहार
3. चित्र सहायक योग्यता
4. मानव व्यवहार व् मनोविज्ञान
5. लेख (हिंदी हैं हम )
6. गीत (जब बात हो हिंदी की तो वो बात हो हिंदी) पुरस्कृत स्वामिनारायण संस्था

** पुरस्कार एवम् स्मृति पत्र
1. हिन्दुस्तान भाषा अकादमी
(हिन्दुस्तानी भाषा समीक्षा सम्मान 2015)
2. ग़ज़ल सागर साहित्य सम्मान 2014)
3. उम्मीद की किरण (साहित्य शिरोमणि सम्मान 2017)
4. बीइंग वुमन (स्वयंसिद्धा सम्मान 2017)
5.साहित्य सागर (माँ शारदे सम्मान 2017)
6. विश्व हिंदी रचनाकार मंच (हिंदी सेवी सम्मान 2017)

** शैक्षणिक क्षेत्र में प्राप्त सम्मान
1.सर्वश्रेष्ठ शिक्षिका सम्मान 2015 डी एच पटेल विद्यालय
2. सर्वश्रेष्ठ कार्य (रचनात्मक 2015)
एम् एड कॉलेज)
3. एन ओ एस ओलंपियाड सम्मान 2016
4. शिक्षक वर्कशॉप सम्मान 2016
5. एयर फ़ोर्स वेलफेयर सेक्रेटरी कार्य सम्मान 2008
6. सर्वश्रेष्ठ सहभागिता कार्य स्वामिनारायण विद्यामंदिर 
7. हिंदी सेविका सम्मान 2016 राष्ट्रिय हिंदी संस्था, गुजरात

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।