अमावस की वो सर्द रात , पूनम आज घर से निकली तो थी , कुछ गुमनाम लोगों की मदद करने , पर हमेशा की तरह घर का माहौल बिगड़ा हुआ था , पूनम की मदद उसे सुकून और ज़रूरतमन्द को कुछ रोटियां तो देती थी , पर निर्धन परिस्थिति में अपना और परिवार का पेट पालती, पूनम की मां ,बुढ़ापे में भी सब्जी का बड़ा सा टोकरा लिए ,गली गली घूमा करती थी , इतने कम कमाई में गुजारा ,उन्हें उतना नहीं खलता था जितना ,पूनम के पिता का काम ना करना ,ऊपर से शराब के नशे में धुत्त होकर मारपीट करना अखरता था, ज्यों ही उस रात पूनम पास की झुग्गियों से चंद रोटियाँ बांट कर आई , पूनम का शराबी पिता उसे गंदी गंदी गालियां देने लगा, शादी की उम्र में लड़का ना मिलना भी एक अभिशाप मानकर ,पूनम के पिता को ना सिर्फ चुभता ऊपर से शराब के साथ ये कुंठा भरी सोच, उस दिन बहुत भारी पड़ गयी , जब उस सर्द रात में आते ही पूनम बर्तन साफ करने लगी और उसके पिता शराब और कुंठा में उसे दिल भेदने जैसी गालियां और चरित्र को चोट पहुचने वाले कुशब्द उगलने लगा,कभी किसी मर्द से बात तक ना करने वाली पूनम, बहुत हद तक सहने के बाद बदचलन जैसे शब्द के प्रतिकार में रोटी सेंकने के चिमटे से पिता को दे मारा, भूलवश वो चिमटा पिता के चेहरे पर जा लगा ,आंखों की पलकों से ख़ून ज्यों ही बहा ,पूनम का शरीर ठंडा पड़ गया , जिस पिता ने बचपन में उंगलियां पकड़कर घुमाया था , प्यार किया था,आज उसी पिता को मारने मजबूर हो गयी , मन मे पश्चाताप का घड़ा भर सा गया , वो अंधेरी रात काली घनघोर लगने लगी ,पूनम और मां ने पिता की उस चोट पर मलहम तो लगाया पर जो घाव पूनम के मन मे पश्चाताप के रूप में लगा था ,वो शायद किसी मरहम से ना भरता,
उस काल के ग्रास रुपी रात में एक भी निवाला पूनम के गले नहीं उतरा,
रात भर पिता को लगने वाली चोट और पिता के हाथ को पकड़कर चलने की यादें ,बिस्तर के आसपास मंडराने लगीं ।।
ज्यों ही सुबह हुई ,घर मे मां की चीख पुकार निकल पड़ी,
पूनम को पश्चाताप के ग्रहण ने निगल लिया था,
एक वेदना की शिकार पूनम ने खुद को घर की छत से
अपनी चुन्नी के सहारे लटका कर ,स्वयं का जीवन समाप्त कर लिया था , बस दीवार पर कुछ शब्द लिख रखे थे ,
परिचय:नाम: नीलेश झा ‘नील’पिता का नाम :श्री बृजेश झामाता की नाम:श्रीमती शोभना झाजन्मतिथि : 27 सितंबर 1986शिक्षा : LLB , MBA, MSC.csशिक्षणस्थान:रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर , माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल मप्रसंप्रति: अधिवक्ता मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर , जिला एवं सत्र न्यायालय मंडलाप्रकाशन:देश की प्रतिष्ठित विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में नियमित रचनायें एवं समीक्षाएं प्रकाशित!विधा :- मुक्तक , बाल साहित्य, कविताये, लघुकथा , कहानियां , व्यंग्य , समीक्षाएं, समसामयिक विषयों पर लेख ।।संपर्क सूत्र: देवदरा मंडला (मध्यप्रदेश)