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मुझको युद्ध नही विराम पसन्द है,
मुझको संघार नही सृंगार पसन्द है,
लेकिन दूषित कर दे जो मेरे तन मन को,
तब केवल और केवल परशुराम पसन्द है,
मुझको तो दुर्गम अनुसंधान पसन्द है,
मुझको केवल स्वेत परिधान पसन्द है,
लेकिन लहू से लतपत लालित होजाऊँ,
तो मुझको शत्रुओं का रक्तपान पसन्द है,
मुझको पुत्रों का अभिराम पसन्द है,
मुझको अपनी होली रमजान पसन्द है,
लेकिन जो छेड़े मेरे तन को बुनियादी बातों से,
तब मुझको रण में पुत्रो का बलिदान पसन्द हैं,
मुझको अपनी माटी इसका यशगान पसन्द है,
मुझको अपनी छाती इसका बलिदान पसन्द हैं,
और मुझको रूप दे मुझको निखरता है वो,
मैं भारत हूँ मुझको अपना किसान पसन्द हैं,
# ️दिप्तेश तिवारी
परिचय
नाम:-दिप्तेश तिवारी
पिता :-श्री मिथिला प्रसाद तिवारी(पुलिस ऑफिसर)
माता:-श्रीमती कमला तिवारी (गृहणी)
शिक्षा दीक्षा:-अध्यनरत्न 12बी ,स्कूल:-मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रीवा
परमानेंट निवास:-सतना (म.प्र)
जन्म स्थल:-अरगट
प्रकाशित रचनाए:-देश बनाएं,मैं पायल घुँगुरु की रस तान,हैवानियत,यारी,सहमी सी बिटिया,दोस्त,भारत की पहचान आदि।
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