अब_कैसे_होगा_दशहरा

0 0
Read Time3 Minute, 44 Second
garima sinh
खड़े मिल गए चौराहे पर
आज मुझे श्री राम
बोले अब मैं लौट चला
वापस फिर सुरधाम।।
यहाँ जरूरत नहीं किसी को
अब पुरुषोत्तम श्री राम की
सर्वोच्च न्यायालय करे फैसला
पहले मेरे जन्म स्थान की।।
नाम पर मेरे रोज यहाँ न
जाने कितने  परिवर्तन होते
रोज नए वादे होते और
बड़े – बड़े अनसन होते।।
कोई मंदिर बनवाता है
और कोई उसे गिरता है
कोई करे सन्देह जन्म पर
साक्ष्य कोई मंगवाता है।।
कोई कहता है रुको तनिक
अभी आदेश तो आ जाने दो
कोर्ट से अपने रामलला का
जन्मप्रमाण पत्र बन जाने दो।।
साबित करने दो दुनियाँ में
उनकी कौशल्या ही माई हैं
पिता श्री दशरथ और लक्ष्मण
संग भरत शत्रुध्न भाई हैं।।
अयोध्या है जन्म भूमि और
चौदह वर्ष वनवास किया
साबित करने दो पहले की
 इन्होंने ही लंका को साफ किया।।
तब जाकर कहीं मुक्ति मिलेगी
और तम्बू ये हट पायेगा
रामलला का मंदिर फिर से
शायद ही बन पाएगा ।।
कारसेवकों के मौतों का
 कैसे कोई खण्डन होगा
कैसे बनेगा मंदिर प्रभु का
और पूजा रघुनन्दन का होगा।।
यही बात अब रामलला भी
सोच रहे हैं न्यायालय में खड़े – खड़े
कहीं बाबरी बन न जाये
हम तम्बू में ही पड़े रहे।।
जब कीमत अब रही नही
वेदों और पुराणों की
न्यायालय अब न्याय करेगा
 रामलला के आने की ।।
ये आडम्बर सहन नहीं है
मुझपर राजनीति अब बन्द करो
सहन नही होता अपमान
अब कोई उचित प्रबंध करो।।
रोज,रोज श्री राम के नारे
बड़े खोखले लगते हैं।।
राजनीतिक आश्वासन सारे
मुझे दोगले लगते हैं।।
इससे बेहतर होगा कि मैं
 सुरधाम निकल जाऊं
अब किस-किस को मैं अपने
 होने का प्रमाण पत्र दिखलाऊँ।।
मैं ही हूँ श्री राम ये कैसे
मैं सबको  समझाऊँगा
काटे मैंने दस शीश रावण के
साक्ष्य कहां से लाऊंगा।।
चारो तरफ अपराध का फैला
 घनघोर अंधियारा है
अब कोर्ट ही करे सुनिश्चित
मैंने ही रावण को मारा है।।
सारे तथ्य जब साफ करोगे
तभी न्याय हो पायेगा
वरना सिर्फ वादों और भाषण से
मन्दिर ना बन पाएगा।।
न्यायालय में केश चलाकर
 समय नही बर्बाद करो
हुआ बहुत अब देर निर्माण में
जल्दी से इंसाफ करो ।।
अगर नही बन पाया मंदिर
अब हिंदू आतंक मचा देंगे
राम नाम का मतलब सारी
दुनियाँ को समझा देंगे।।
अगर मनाना है दशहरा तो
आवाज उठाना होगा
रामलाल का मंदिर अब
 जल्दी ही बनवाना होगा।।
वरना अगर अब देर हुई तो
कुछ फिर ना कर पाओगे
अबकी बार गर सत्ता बदली
जीवन भरपछताओगे ।।
#गरिमा सिंह
परिचय- 
नाम-  गरिमा अनिरुद्ध सिंह
साहित्यिक उपनाम-मधुरिमा
राज्य-गुजरात
शहर-सूरत
शिक्षा- एम ए प्राचीन इतिहास
कार्यक्षेत्र-शिक्षण
विधा – हास्य ,वीर रस ,शृंगार

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कात्यायनी (माता का छठा रूप )

Mon Oct 15 , 2018
पराम्बा शक्ति पार्वती के नौ रूपों में  छठा रूप  कात्यायनी का है । अमरकोष के अनुसार यह पार्वती का दूसरा नाम है। यजुर्वेद में प्रथम बार  ‘कात्यायनी’ नाम का उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यता  है  कि देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए  देवी महर्षि कात्यायन के आश्रम पर प्रकट […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।