टेसू दहके,महुआ महके,अमुआ में कोयल बोली है,
बौराओ सब फ़ाग सुनाओ,बुरा न मानो होली है।
गली-गली में शोर मचा है,मस्तानों की टोली है,
सतरंगी रंगों में रंग जाओ,बुरा न मानो होली है।
ढोल-ताशे झांझ बजाओ,रंगों की रांगोली है,
हिलमिल कर सब नाचो-गाओ,बुरा न मानो होली है।
रंग और गुलाल उड़ाओ,सजनी सजन से बोली है,
मिलकर खेलें प्रेम रंग कि, बुरा न मानो होली है।
मस्ती में सब मस्ताओ,सखियों संग हँसी-ठिठोली है,
भंगिया संग सब धूम मचाओ,बुरा न मानो होली है।
प्रेम रंग है सतरंगी,अबीर गुलाल संग रोली है,
सात सुरों से रंग उड़ाओ,बुरा न मानो होली है।
राग-द्वेष सब भूलकर,बैठे अब हमजोली है,
प्रीत फ़िज़ा में बिखराएं हम,बुरा न मानो होली है।
#प्रीती दुबे
परिचय : मध्य प्रदेश में ही निवासरत प्रीति दुबे प्रधानमंत्री सड़क योजना छिंदवाड़ा में उपयंत्री के पद पर कार्यरत हैं।आपने कुछ समय पहले ही शौकिया तौर पर लिखना शुरू किया है। आपकी रचनाओं का खास तत्व स्त्री और प्रेम है।
umda