हिंदी मेरी जान है, मेरा मान है, सम्मान है

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sandhya

सच सोचनीय विषय है,जब हिंदुस्तान में हिंदी का सम्मान नही तो और कही कैसे होगा?
सर्वप्रथम हम सब को अपनी मातृ भाषा से प्रेम करना होगा।
हर कोई अंग्रेजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है, जब शिक्षा ही योग्य नही मिलेंगी, तो संस्कार और हिंदी का प्रचार और प्रसार कैसे होगा?
सरकार को शिक्षा विभाग में सक्रिय कदम उठाने होंगे,थोड़ा सा पाठ्यक्रमों को रोचक बनाये।
हिंदी का प्रेम लोगो मे जगाये।
हिंदुस्तान के नागरिक होने के नाते हर नागरिक का फर्ज ही नही बल्कि ये मातृभाषा का अधिकार है, की उसे प्राथमिकता मिले।
हर राष्ट्रय में वहाँ की राष्ट्रीय भाषा को प्राथमिकता देने का कानून हैं।
हमारे देश मे ये एक अनिवार्य विषय तो है, सिर्फ़ पाठ्यक्रम मे।
बाकी हर जगह हम गर्व से इंग्लिश का उपयोग करते हैं।
नाम से लेकर हस्ताक्षर भी अंग्रेजी में,वरना लोग ग्वार कहेगें।
लोगो की फिक्र रहती है, पर मातृभाषा आज दुख से व्यथित है।
उस की वेदना का अहसास तक नही किसी को।
उफ्फ्फ कैसे एक माँ सहे की उस के निज लाल उसे भूल कर,किसी और कि गोंद में सर छिपाये।
बस आज हिंदी की यही करुण दशा है हमारे देश में।
#हिंदी_है_हम_वतन_है_हिंदुस्तान हमारा।
काश ये अहसास हर किसी के दिल मे आ जाये और ये देश भारत से फिर हिंदुस्तान बन जाये।
मुझे गर्व है कि मैं हिंदू हूँ और मेरा जन्म हिंदुस्तान की पावन भूमि में हुआ।
हिंदी ने मुझे शब्द दिए,मान दिलाया।
पहचान दिलायी।
मुझे गर्व है मेरी राष्ट्रीय भाषा पर।
हिंदी मेरी जान है, मेरा मान है, सम्मान है।

#संध्या चतुर्वेदी
मथुरा उप

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।