‘जग्गा जासूस’ यानि बच्चों की पसंद (फिल्म समीक्षा )

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 edris
ये कॉमेडी,एडवेंचरस और रोमांटिक बच्चों की फ़िल्म है। डिज्नी बच्चों के लिए फ़िल्म बनाता आ रहा है,जो इस बार ‘जग्गा जासूस’ के रुप में अनुराग बसु द्वारा लिखित-निर्देशित है।
फ़िल्म शुरू होती है पत्रकार श्रुति(केट) की कहानी और किताब जग्गा जासूस की बुक से,जिसमें जग्गा के कारनामे बयां होते हैं। एक अनाथ बच्चा जो हकलाता है उसे एक पिता तुल्य शख्स पिता का प्यार देता है। अपने पिता (शाश्वत मुखर्जी) के गायब हो जाने पर जग्गा उनकी खोज में निकलता है, जहां उसका साथ देती है श्रुति।
इसी यात्रा के दौरान फ़िल्म दार्जिलिंग, थाईलैंड,कैप टाउन होते हुए मोरोक्को पहुँचती है,और बहुत सारी मुसीबतें आती है। इसी दौरान श्रुति-जग्गा को प्यार हो जाता है। पिता की खोज पूरी होती है,या नहीं,इसके लिए फ़िल्म देखनी पड़ेगी। फ़िल्म अंत मे विपरीत युध्द का संदेश भी देती है।
फ़िल्म में गाने प्रीतम के संगीतबद्ध किए हुए हैं,जो पहले अंतराल में अच्छे लगे हैं, क्योंकि जग्गा हकलाता है,तो इससे बचने के लिए वह पद्य में बात करता है।
अनुराग बसु का निर्देशन अच्छा है, भावनात्मक दृश्य बड़ी सफाई और निर्देशकीय प्रतिभा से इन्होंने गढ़े हैं।
फ़िल्म का पहला भाग कसावट से भरा है,लेकिन दूसरा थोड़ा ढीला है।
फ़िल्म की अवधि १६१ मिनट है।
अभिताभ के गाने भी लोकप्रिय हो चुके हैं-गलती से मिस्टेक,उल्लू का पठ्ठा और बहुत सारी पैरोडी तुल्य गाने ठीक-ठाक हैं।
फ़िल्म हॉलीवुड एनिमेशन फ़िल्म ‘एडवेंचर ऑफ टीन’ की याद दिलाती है,क्योंकि रणवीर को भी वैसा ही रखा गया है। कुछ दृश्य ‘पिंक पेंथर’ से प्रेरित हैं।
रणवीर ने इस फिल्म से साबित किया कि वह प्रशिक्षित अभिनेता हैं और उनमें उच्च सितारे के तमाम गुण मौजूद हैं।
केट को अब तो अभिनय पर ध्यान देना चाहिए,क्योंकि उम्र दिखने लगी है उसकी। सौरभ हमेशा की तरह सुखद अभिनय करते दिखे तो गोविंदा ने कपूर परिवार के सम्मान में रोल स्वीकार किया था जो केमियो था,लेकिन वह भी काट दिया गया तो उनकी नाराजगी जायज है। शाश्वत मुखर्जी ने अच्छा अभिनय कर लिया है।
इस फिल्म में आदित्य रॉय,रणवीर ने पैसा लगाया है। बच्चों के लिए बनी फिल्म अपनी लागत तो निकाल ले जाएगी,पर अंतिम दृश्य आपको चौंका देगा।

                                                                                                #इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।