मुकेश मोलवा : हिन्दी कवि सम्मेलनों का कर्मयोद्धा

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रश्मीरथी

मुकेश मोलवा : हिन्दी कवि सम्मेलनों का कर्मयोद्धा

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डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’

पिता कानालाल व माँ मानीबाई के घर १६ दिसम्बर १९८५ को रतनपुरा (धार) में जन्में व बीएससी, एमबीए, एमए तक पढ़े इंदौर निवासी वीर रस के कवि मुकेश मोलवा वर्तमान में हिन्दी कवि सम्मेलनों में धारा के विपरीत केवल साहित्यिक मंचो पर हिन्दी के सुन्दर प्रयोग हेतु पहचाने जाते हैं।

मोलवा ने प्रथम मन्च १४ दिसम्बर २०१० अमझेरा में, द्वितीय मंच ६ फरवरी २०११ को कुक्षी में किया तथा उसके बाद २०११-१२ से अनवरत मंच पर कवि सम्मेलनों में हिस्सा लेते है।

आपने जब मंच पर पढ़ना आरम्भ किया तो कविता के पात्र के अनुरुप भाषा चयन किया, उस दौर में विशुद्ध हिंदी को नही सुना जाता था, इसलिए इसे सरल करने का दबाव भी रहा पर अाप अपने प्रण पर अडिग रहे।

फूहड़ चुटकुलों, द्विअर्थी संवादों से दूर रह कर केवल कविता से स्वयं को प्रमाणित करना मोलवा के लिए दुष्कर तो था पर उनसे माँ शारदा ने यह कठिन कार्य करवा लिया।

फिर जब आदर्श स्थापित करने की बात आई तो आपने धोती कुर्ता साफा जो प्रथम दृष्टि भारतीयता का सबसे बड़ा परिचायक है वह पहनना शुरू किया तो कुछ लोगो ने इसका भी विरोध किया। इस पर मोलवा सा कहना है कि ‘इसी भाषा शिल्प और इसी विवेकानंद अनुयायी की तरह स्वयं को प्रमाणित करने के लिये स्वाध्याय और निरंतर साधना जिसके परिणामस्वरूप माँ में पहचान दी।’

मोलवा की प्रसिद्ध कविताएँ- ‘बख्तावरसिंह मालवा के प्रथम शहीद १८५७, महाराणा प्रताप और चेतक, हरिसिंह नलवा, चन्द्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क में, मालवा का गौरव, पेशवा बाजीराव, भोजशाला व मैं हिन्दू हूँ आदि हैं।

मोलवा ने एक काव्यग्रन्थ ‘धेनु ही धर्म’ लिखा है जिसमे वेदों उपनिषदों पुराणों देवो से जुड़े धेनु के प्रसंग विशुद्ध देवनागरी (शुद्ध हिन्दी) मे रचे हैं। इन्ही कारणों मुकेश मोलवा हिन्दी कवि सम्मेलनों की पहचान और शान भी है।

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मुकेश मोलवा

रस- वीर रस
अनुभव – ८ वर्ष से अधिक
निवास-इंदौर ( मध्यप्रदेश)

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।