प्रभु को नमन,गुरु को नमन /
गुरु को नमन,प्रभु को नमन //
सुबह शाम वो आराधना /
ऐसे श्रावक और श्राविका /
पाते है खुश हाल जीवन /१/
प्रभु को नमन,गुरु को नमन /
गुरु को नमन,प्रभु को नमन //
अपने मात पिता के प्रति /
उनकी संतान भी उन्हें /
देती है उन को भी आदर /२/
प्रभु को नमन,गुरु को नमन /
गुरु को नमन,प्रभु को नमन //
जो कर्म तुम करोगे अब /
उसका फल तुम को मिलेगा /
जो भी कर्म तुमने किये है /
अगले भाव में फल वैसा ही पाओगे /३/
प्रभु को नमन,गुरु को नमन /
गुरु को नमन,प्रभु को नमन //
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।