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कहते हैं जीवन दुखों से भरा है
यहाँ हर कदम पर घाव गहरा है
हम अपनी स्वाभाविक गति नहीं कर पाते
यहाँ हर क्षण अनजान भय का “पहरा” है
कभी समझौते करते हैं, कभी बगावत
कम नहीं होती है ये उलझन,ये आफत
किसी उधेड़बुन में “जीवन” मर रहा होता है,
तो कैसे मिले इस जीवन में “राहत”
बड़ा सरल है राहत पाना,
तुम बस एक “लत” लगाना
हर परिणाम को “स्वीकार” करना,
हर स्वीकृति पर “जश्न” मनाना
जश्न भी ऐसा कि जो हिला दे,
तुम्हें तुम्हारे गहरे “मौन” से मिला दे
तुम न चाहते हुए भी आँखे “बंद” कर लो,
ऐसे वो बंद “रश्मि” स्व-कली खिला दे।
देखना, तुम कितने सहज, कितने सरल होते हो
एक आनंदित जीवन की प्रथम “पहल” होते हो
फिर जीवन बरबस आगोश में लेगा
तुम जीवन की “गोदी” में नन्हे कोंपल होते हो।
तब,
बालवत् जीवन की “पीठ” पर झूलना
मन करे तो चरणों में लोटना
इस लोट-पोट में तुम “कसे-भींचे”जाओगे,
हाँ हाँ उस दिन तुम स्वयं को “धन्य” पाओगे।
सच में जीवन उत्सव है, “उल्लास” है,
प्रभु प्रदत्त एक क्रीडांगन, “सुहास” है
तुम जीवन को एक रिश्ता समझो
और रिश्ता भी ऐसा जो सबसे “खास” हो
फिर देखो, तुम बदल जाओगे,
बदला नहीं फिर “बदलाव” चाहोगे
बलखाते, थिरथिराते “आज” की धुन पर,
संगीतमय, सुर में डूबे “कल” पाओगे।
हाँ हाँ उस दिन तुम स्वयं को “बदल” पाओगे।
जीवन उत्सव है, इसको प्रति पल मनाओ।
#स्वामी विदेह देव
परिचय: स्वामी विदेह देव का साहित्यिक उपनाम-संकल्प है। आपकी जन्मतिथि-२१ फरवरी १९८९ और जन्म स्थान-ग्राम-बजीना(जिला-अल्मोड़ा,उत्तराखंड)है। वर्तमान में आप पतंजलि योगपीठ हरिद्वार(उत्तराखंड)में निवासरत हैं। उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार शहर से संबंध रखने वाले आचार्य नवीन की शिक्षा-बीए सहित पीजीडीएमए तथा दर्शन में आचार्य (पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से)है। कार्यक्षेत्र में आप विभिन्न सेवा प्रकल्पों में सेवारत हैं और वर्तमान में योग प्रचारक विभाग का दायित्व निभाने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। २०१२ से नौकरी छोड़कर पतंजलि योगपीठ के साथ मिलकर सामाजिक,सांस्कृतिक,आध्यात्मिक क्षेत्र में अहर्निश ही सेवा कर रहे हैं। अगर लेखन की बात की जाए तो कविता, संस्मरण,काव्य-रचना,लेख,कहानी,गीत और शास्त्रीय रचना का सृजन करते हैं। प्रकाशन में उपनिषद-सन्देश( उपनिषदों की काव्यमय रचना) पतंजलि योगपीठ द्वारा प्रकाशित है। आप ब्लॉग पर भी लेखन करते हैं। आपकी खासियत यह है कि,स्वतंत्र और अत्यंत आकस्मिक लेखन करते हैं। उपलब्धि यह है कि,पूज्य स्वामी रामदेव जी द्वारा चैनल के माध्यम से कई बार लेखन की प्रशंसा पा चुके हैं। आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य-मात्र विशुद्ध अभिव्यक्ति,सम्पूर्ण रिक्त,व्यक्त होने के भाव से भर जाना,चेतना का लेखन द्वारा ईक्षण करना तथा समय के साथ अपनी चेतना के स्तर पता करते जाना है।
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मेरे गुरुजी की उपयुकत जानकारीयो के लिए धन्यवाद