मै नारी हूं।
मै नारी हूं ।
मै सारी सृष्टि से न्यारी हूं ।
मैं वो हूँ जो तज नही सकती ,
अपने न्यायाचित अधिकार ।
मैं वो हूँ जो नही सह सकती ,
शीश झुकाकर अत्याचार ।
मैं निर्भय हो बरसा सकती ,
सत्य के दहकते हुये अंगार ।
मेरे अधरों पर होते है ,
अंतरमन के स्वतंत्र विचार ।
नहीं झुकुगीं मैं दुनिया से ,
नहीं करूगीं समझौता ,
मेरे सम्मुख लक्ष्य है मेरा ,
राहों का नहीं मुझको टोटा ।
मृदु हाथों की कठोर तपस्या ,
लिखती है मेरी तकदीर ।
मेरे नयनों के जलकण में ,
छलके मानवता का नीर ।
मैं भवानी की शक्ति हूँ ।
है मुझमे कृष्ण की राधा प्यारी ।
मैं अंतरिक्ष की कल्पना हूँ ,
बसती मुझमें सृष्टि सारी ।
इसीलिये सब कहते मुझको ,
सृष्टि मे मैं सबसे न्यारी ।
सृष्टि मे मैं सबसे न्यारी ।
डॉ मंजुला साहू ।
चिकित्साधिकारी
कोरबा (झारखण्ड)
प्रकाशन -विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
प्रसारण- आकाशवाणी बिलासपुर नियमित
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