इंसान इंसान का दुश्मन हुआ, मोहब्बत और इखलास सब भूल गया। अपने मतलब के लिए, तहजीब और इंसानियत भूल गया।। जाने कैसी सीख में लगा, मजहब और ईमान गया। ऐसा भटका है राह-ए-तालीम से, खुद ही अपना घर भूल गया।। चारों तरफ फैला शैतानियत का जोर, रिश्वतखोरी का है बोलबाला। […]
आलोचना
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