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बारात बिदा की व दमयन्ती अपने नए घर यानि ससुराल में प्रविष्ट हुई,जहाँ सभी ने उत्साह से स्वागत किया। दमयंती को दूसरे दिन ही देवरानी मिल गई,यानि दोनों शादियां एक साथ हुई थी।    समय का चक्र चलता रहा। दमयंती के आने के बाद से ही सत्यव्रत को एक के […]

  घर बिजलियों की रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमग-जगमग कर रहा था। दरवाजे फूलों और वंदनवार से सजे हुए थे। मंदिर में ठाकुर जी अपनी राधारानी  के साथ मंद-मंद बांसुरी की धुन से वातावरण सुवासित कर रहे थे। एक तरफ घर में मधुर संगीत की ध्वनि से ‘हम आपके हैं कौन’ […]

आज रमेश और सुनीता के घर एक और फूल खिलने वाला था,और बाबा और दादी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। सबको यकीन था कि इस बार हमारे घर में बेटा ही होगा। सुनीता के पास इससे पहले ही एक बेटी थी ‘महक’। बहुत ही प्यारी(परंतु उससे प्यार करने […]

कभी-कभी कैसे बुलबुले उठते हैं मन में,कुछ बड़े तो कुछ छोटे..जैसे मन में कुछ खौल रहा होl तमाम तरह के वैचारिक बुलबुले उभरते और फटते हुए..। कहीं पढ़ रही थी कि,मनुष्य चाहे जितना भी व्यस्त क्यों न हो, एक निश्चित समय उसे खुद के साथ बिताना चाहिए, अच्छा लगता है […]

   वो पंजाबी लड़की थी, ऊँची पूरी तेजतर्रार और नामी लेखिका भी। शादी हुई,बच्चे भी हुए,किंतु अलगाव हो गया।     बच्चे बड़े हो गए तो वह अकेली हो गई। घर का सारा काम उसे ही करना पड़ता। एक दिन बाजार से सामान लाते समय उसकी स्कूटी बंद हो गई। […]

हिस्से में आई बेइज्जती को देख मन सुन्न हो गया रामदीन का..क्या सोचा था क्या हो गया,अपनी सगी बहन से इस बर्ताव की सपने में भी उम्मीद न थी,किस कलेजे से कह दिया भईया  रात आप भगतपुर में बिता लो,सुबह बारात विदाई के बाद चले आना,आप के ये ‘सफेद दाग’ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।