उस दिन शायद पूरा भूमंडल रोया होगा, जब धरती माँ ने अपने लालों को खोया होगा। शायद उस दिन भारत माँ ने भी आजादी से इंकार किया होगा, जब बलिदान उसने अपने तीन शेरों को किया होगा। उस दिन फिर भोले ने तांडव किया होगा, जब इनकी फांसी का दिन […]
Uncategorized
आजादी का स्वप्न संजोया..अपनी खुशिंयाँ भूलकर, काट बेड़ियां भारत माँ की..चला निरंतर शूल पर। राष्ट्र दुलारा,आँख का तारा,शेर..ए बब्बर सरजमीं का, भगतसिंह बलिदान हुआ था..हंस फाँसी पर झूलकर। उम्र न जिसको रोक सकी थी..बारुदों के खेलों से, दाँत शेर के जो गिनता था..मौत स्वयं अनुकूल कर। राष्ट्र प्रेम का प्रखर […]