धीर बनो गम्भीर बनो, सागर का तुम नीर बनो। लुटती हो मर्यादाएं जब-जब, द्रोपदी का तुम चीर बनो। देनी हो प्रेम-प्यार की परिभाषा, तब-तब राधा की पीर बनो। आते सुख-दुःख जब-जब, तब दुःख को भी अपना लो.. सुख की न तुम जागीर बनो। पीकर गरल हलाहल सारा, अमृत की तुम […]