संसार अगर एक रंगमंच है, तो हां, मैं उसका एक पात्र.. मुखौटा,चरित्र,किरदार,अभिनय और भूमिका हूँ। बचपन,जवानी,वृद्धावस्था, के पड़ावों से गुजरती जिन्दगी.. के बीच मैं कब पुत्र से पिता, दादा,नाना,मामा और चाचा.. बन जाता हूँ, कुछ पता ही नहीं चलता। पात्रों की जरूरत के हिसाब से, भूमिकाओं को निभाते-निभाते.. मैं अपने […]

अपने मुँह का दिया निवाला है। माँ ने ऐसे ही मुझको पाला है।। जबसे रक्खा क़दम है धरती पर। मेरी माँ ने मुझे सम्भाला है।। जब मैं चलने लगा था थोड़ा-सा। बाप ने गोद में उछाला है।। मेरी माँ जब भी रोने लगती है। प्यार से हर घड़ी सम्भाला है।। […]

शहर के नामी कॉलेज में  रामायण  का मंचन चल रहा था। राम 14 वर्षों का वनवास काटकर,रावण पर विजयश्री प्राप्त कर अयोध्या लौट आए थे। तभी एक आदमी (जो पेशे से  धोबी था) रास्ते में अपनी पत्नी को पीट रहा था और कहता जा रहा था-`जा,चली जा यहाँ से,मैं कोई प्रभु श्रीराम नहीं हूँ जो पर-पुरुष के साथ रही स्त्री को अपने घर में रख लूँ।` ये सुनकर श्रीराम जी ने भी अपनी  पत्नी के आगे अग्नि परीक्षा की शर्त रख दी। इतनी बड़ी बात सुनकर सीता ने चौंककर श्रीराम की और देखा फिर तल्ख़ आवाज़ में बोली-`चाहे मर्यादा पुरुषोत्तम हो या साधारण पुरुष,स्त्रियों के प्रति दोनों का रवैय्या एक-सा ही रहता है। मैंने आपके लिए 14 वर्ष वनवास में बिताए,अपने राजसी ठाठ-बाट छोड़कर में आपके साथ कंटीले रास्तों पर चली। क्या मेरा ये कहना कि,रावण ने मुझे छुआ तक नहीं,आपके लिए विश्वास योग्य नहीं है ? इससे पहले कि आप अपनी गर्भवती पत्नी का त्याग करें,मैं स्वयं ही आपको छोड़कर जा रही हूँ। जो व्यक्ति अपनी पत्नी के नहीं,दूसरों के वचनों पर विश्वास करता है,वो साथ रहने योग्य नहीं है। सीता के मुख से ये सुनकर श्रीराम के साथ अयोध्यावासी भी हतप्रभ थे। साथ ही दर्शकों से खचाखच भरा हॉल भी निस्तब्ध था। नाटक के निदेशक को लगा,सीता बनी सुनिधि  अपने डायलाग भूल गई है,वे इशारों मेंसे सीता को समझाने का प्रयास कर रहे थे। तभी मंच के पीछे से तालियों की आवाज़ आई। ये तालियाँ कॉलेज की प्राचार्या मैडम बजा रही थी।अब वे माइक पर थी। उन्होंने बोलना शुरू किया-‘शाबाश,सुनिधि आज तुमने रामायण में नया अध्याय जोड़ दिया है,सीता को भी हक़ है कि वो राम को त्याग सके। शादी का बंधन विश्वास पर ही टिका होता है। अगर सम्बन्धों में विश्वास ही न रहे तो,साथ रहने का क्या फायदाl अरे आप लोचुप क्यों है,स्वागत कीजिए नव युग का,जहाँ नारी अपने निर्णय लेने में सक्षम है।  “और हॉल तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हर्षध्वनि से भी गुंजायमान हो उठा।                                                                                 #सुषमा दुबे […]

मोदी सरकार सरकार की योजनाओं और जानकारियों को आमजन तक पहुंचाने के लिए पहल कर रही है। इसी दिशा में सरकार की 30 हजार से अधिक वेबसाइट अगले डेढ़ साल में हिन्दी समेत 12 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ई-भाषा योजना पर कवायद तेज हो गई है। […]

समय-समय का फेर है,समय बड़ा बलवान, समय समझ करते रहो,दान मान सम्मान ; यही है बात पते की। समझ चूकी पछताय नर,समय बड़ा बलवान, समय साथ जो जन चले,खिले होंठ मुस्कान.. सुधर जा अब तो प्राणी। समय भूली छल-बल करे,करे अशुभ जो काम, ऐसे ही नर कर रहे,मानवता बदनाम ; […]

सामान्यतः लोगों की, आयु बढ़ने पर बल,तेज,आभा.. घटते जाते हैं, लेकिन स्वामिन आप, आप इसके अपवाद हैं,क्योंकि, जितनी-जितनी आपकी आयु, वृद्धि को प्राप्त हो रही है.. आप उतने ही तेज, आभा,अनुभव आदि की.. वृद्धि को प्राप्त हो रहे हैं। यूँ कह दूँ कि, आपकी साधना में.. प्रतिदिन निखार आता चला […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।