जिस रास्ते से गुजरती थी वो, वो रास्ता मुझे उसकी याद दिलाता है.. जब भी गुजरता हूं उस रास्ते से, तो उसका चेहरा मेरी आँखों में आता हैl ऐसा लगता है जैसे हम उसके साथ चल रहे हैं, उस वक़्त जो न कह सके थे वो आज कह रहे हैं.. […]

यादों को तेरी दिल से ऐसे मिटा रहे हैं, लिख-लिख के नाम तेरा अपना बता रहे हैं। ख़त भी जला के देखे,यादें गईं न दिल से, तस्वीरें जो थीं तेरी, वो भी जला रहे हैं। जिस दिल में याद ज़ालिम तेरी बसी है अब तक, उस दिल में अपने हाथों […]

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नया-नया बस्ता लेने की जिद, करता अब हर रोज चुन्नू.. जाना है मम्मी अब हमको स्कूल, मम्मी कहती-बाबू अभी रुक जाओ दिला दूँगी सब थोड़ा रुको..। पर चुन्नू ना-मम्मी, सबके पास है नया बस्ता, नई कॉपी,हमको भी चाहिए… मम्मी बोली-अच्छा,ला दूँगी। बस चुन्नू अब बस्ते के सपने देखे, आज गया […]

मुल्क और मज़हब की बात है प्यारे, जुबान संभालना ये सियासत है प्यारे। बांटेगी ये हमें अपने-अपने हिसाब से, तेरी और मेरी क्या औकात है प्यारे। जब हम और तुम साथ हैं प्यारे, रहनुमा क्यों परेशां दिखते है सारे। शतरंज का खेल चला है दोनों में, कभी शह तो,कभी मात […]

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हंसमुख मुख मुद्रा वाले मर्यादा पुरुषोत्तम की बात बड़ी निराली है, प्रकटोत्सव बारह बजे,मंदिर की बजती घण्टी, हम बजा रहे ताली है। कर्म प्रधान,मर्मशील,आदर्श प्रभु वे अवध की बगिया के माली हैं, दानवों के दौर में ऋषियों की तपस्या पर यज्ञ की वो ही करते रखवाली हैं। जिनके आगमन पर,सम्पूर्ण […]

ऊपर बैठा एक मदारी, देखो खेल कैसे खिलाए, हम बन्दर हम भालू रीछ, देख डमरू कैसे बजाए। न मानें हम उनकी बातें,देख लाठी कैसे दिखलाए, ऊपर बैठा एक मदारी,देख खेल कैसे खिलाए।। खेल-खेल में सिखा दिया है हँसते-हँसते रोना, खेल-खेल में सिखा दिया है रोते-रोते हँसना। खेल भी उसका,नियम उसके […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।