जालों को अँधेरे खा रहे, अंधेरों से फिर मात खा रहे। उठाए थे हाथ दुआओं में जिनकी ख़ातिर, , वही आज नासूर नज़र बन तड़पा रहे। जिंदा थे कल तलक जैसे तैसे, आज होश-ओ-हवास खोते जा रहे। मैं दर्द बयां करूँ तो करूँ किससे, जब अपने ही जख़्म देते जा […]

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नटखट चुलबुली थोड़ी थिरकती-सी रहती है, मेरे घर-आँगन में यूं फुदकती रहती है। कभी हंसकर हरकतें कर सबका मन मोहती है, कभी-कभी रोकर सताती रहती है। थोड़ी अठखेली,थोड़ी शांतिप्रिय है, प्यार बरसाकर सबको साथ लिए है। रोती तो लगता मुझे पागल कर देगी, हंसकर बहलाकर मुझे दीवाना कर देगी। हर […]

 वह सुंदर-सी गोरी आठवीं में पढ़ती थी। सांवली-सी,औसत कद था। जल्दी शादी हो गई गरमी की छुट्टी में। देखा पति हाईकोर्ट में बाबू हैं। मुझे पढ़ाई करनी है। मैट्रिक के बाद उसने एक स्कूल में पढ़ना शुरू कर दिया। उसे सरकारी नौकरी मिल गई और वह भी बाबू बन गई। […]

तीज ना कोई त्योहार, न ही ढोल-मल्हार होली,राखी न दीवाली, रोज मनाते ये उत्सव..॥ कोई बंधन न कोई मन्नत, कदम-कदम मिलाएं हरदम हँसना और हँसाना मीत जैसा ये उत्सव..॥ मोड़ एक यहीं चौखट, याद आता गाँव-चौपाल हौंसला अपना राह नई, क्यों न फिर मनाएं उत्सव..॥ रंजो-ऐ-गम कभी नहीं, न वक्त […]

सुमरूं बारंबार शारदे है मांई, आन विराजो कंठ शारदे हे मांई। सुमरूं हूं मैं उस ईश्वर को, जिसने रचा संसार शारदे हे मांई। सुमरूं बारंबार शारदे हे मांई..॥ सुमरूं हूं मैं मां माटी को, जहां उगे अन्न धान शारदे हे मांई। सुमरूं बारंबार…….. सुमरू हूं नित मात-पिता को, दिया जिन्होंने […]

ये सिक्का हमारा तो चलता रहेगा। वो मौसम वफा का तो आता रहेगा॥ तुझे ही खुदा से माँगा था सभी ने। पता है हमें भी तू आता रहेगा॥ तिरे प्यार की खुशबू आती है उड़कर। वफा के लिए फिर यूँ आना रहेगा॥ शक की नजर से ये दुनिया यूँ देखे। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।